धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी। मध्य प्रदेश को यू ही अजब नहीं कहते है! दरअसल, यहां कागजों में 23 साल तक गवर्नमेंट स्कूल चला। इतना ही नहीं सरकारी खजाने से प्राइवेट टीचर्स को सैलरी भी मिलती रही। अब खुलासा होने पर 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया गया है। यह पूरा मामला निवाड़ी जिले के नेगुआ स्थित शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल का है।
प्रदेश में अतिथि शिक्षक पिछले महीने तक सड़क पर इसलिए संघर्ष करते रहे ताकि वर्षों तक लटकी पड़ी भर्ती में नियुक्ति मिल सके, वह शिक्षक बन सके। दूसरी तरफ एक ऐसा स्कूल जहां सरकारी मिली भगत से फर्जीवाड़ा कर स्कूल को केवल कागज पर सरकारी दिखाकर वहां के शिक्षक 23 साल तक सरकारी वेतन लेते रहे। जी हां… निवाड़ी जिले का शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल बीते 23 साल से स्कूल शिक्षा विभाग से सैलरी ले रहा। सरकारी टीचर की तरह प्रमोशन का फायदा मिलता रहा।
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ऐसा हुआ खुलासा
इस घोटाला में कुल 15 करोड़ 80 लाख 88000 रुपए सरकारी खजाने से स्कूल के टीचर लेते रहे, लेकिन स्कूल की पोल पट्टी तब खुली जब स्कूल के टीचर की मृत्यु के बाद उनके परिजन आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए पहुंचे। पता चला जिनके नाम पर आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी मांगी जा रही है, वह खुद सरकारी शिक्षक नहीं थे। इस मामले में संयुक्त संचालक मृत्युंजय कुमार ने बताया कि शासन की नीति के अनुसार इस स्कूल को 2017 में निकायाधीन किया गया था। निकायाधीन का अर्थ है, जब विद्यालय को टेकन ओवर किया गया, तो जिला पंचायत के अधीन किया गया था।
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विभाग के अधिकारियों का कारनामा
उन्होंने बताया कि, जब मैं यहां जिला शिक्षा अधिकारी बनकर आया तो बहुत सी शिकायतें मिली कि यहां अवैधानिकताएं की है। इसकी जब जांच की तो पता चला कि विभाग के अधिकारियों के साजिश के तहत इस विद्यालय को शासन के नियमों के अनुसार, इसे शासकीय मद से वेतन दिया जाने लगा। यह कार्य विकासखंड शिक्षा अधिकारी तत्कालीन संकुल प्राचार्य के द्वारा किया गया था।
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