रायपुर। दशकों तक हिंसा, दरार और कटे हुए रास्तों का प्रतीक रहा बस्तर राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में आज धीरे-धीरे विकास की उन राहों पर लौट रहा है, जहाँ सड़कों, विद्यालयों, चिकित्सा सुविधाओं और रोज़गार के अवसर खुल के सामने आ रहे हैं. इस आमूलचूल परिवर्तन के लिए साय सरकार की ‘नियद नेल्लानार योजना’ को श्रेय दिया जा सकता है.

नियद नेल्लानार योजना विशेषकर माओवाद प्रभावित और दूरदराज़ के गाँवों तक बुनियादी सुविधाएँ पहुँचाने तथा स्थानीय नागरिकों — विशेषकर आदिवासी समुदायों और PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) को मुख्यधारा से जोड़ने पर केन्द्रित है. योजना का उद्देश्य केवल इंफ्रास्ट्रक्चर देना नहीं बल्कि भरोसा और नागरिक सशक्तिकरण बनाए रखना भी है — ताकि हथियार डाल कर लौटने वाले लोग, उनके परिवार और गाँव दीर्घकालिक विकास का हिस्सा बन सकें.

नियद नेल्लानार नाम स्थानीय दंडकारी भाषा, डैंडमी बोली से लिया गया है और इसका मतलब मोटे तौर पर होता है “आपका अच्छा गाँव”. यह योजना उन गाँवों को लक्षित करती है जो हिंसा और असुरक्षा की वजह से लंबे समय तक विकास से कटे रहे. इन क्षेत्रों मे बुनियादी सुविधाओं का अभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य संस्थाओं की कमी और रोज़गार के सीमित अवसर ही सामाजिक असंतोष और पिछड़ेपन के कारण रहे हैं. नियद नेल्लानार का उद्देश्य इन समस्याओं को उसके जड़ों से दूर कर गाँवों को स्थिरता, सेवाएँ और अवसर देना है — ताकि लोग देश की मुख्यधारा के साथ जुड़ें और विकास के लाभ हासिल कर सकें.

मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता का प्रतीक है नियद नेल्लानार योजना की रूपरेखा

नियद नेल्लानार एक बहुआयामी योजना है — इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक सेवाएँ, सुरक्षा के समन्वित कदम और नागरिक भागीदारी — ये सभी शामिल हैं. योजना के तहत गाँवों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए ग्रामीण सड़कों, पुलों और पैदल पथों का निर्माण/मरम्मत किया जा रहा है. विकास के इस प्रयास से बाजार, स्कूल और अस्पताल की दूरी कम हो रही है और सेवाओं तक पहुँच आसान हो रही है. पानी और स्वच्छता को इस योजना से जोड़ते हुए स्थायी पेयजल आपूर्ति, तालाबों के पुनरुद्धार और शौचालय निर्माण किया रहा है. सुरक्षित पानी और स्वच्छता जीवन स्तर में तात्कालिक सुधार लाते हैं.

बस्तर के दूरस्थ गाँव में भी बिजली और डिजिटल पहुँच बनाने के लिए बिजली कनेक्शन, सोलर पैनल और डिजिटल सेवाएँ पहुँचाई जा रही है ताकि गाँवों में इंटरनेट/डिजिटल साक्षरता लाना ताकि सरकारी सेवाएँ और बैंकिंग पहुँच सकें.नियद नेल्लानार योजना में स्वास्थ्य और शिक्षा को प्राथमिकता के साथ सुधार लाया जा रहा है जिसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुदृढ़ीकरण, मोबाइल स्वास्थ्य शिविर, टीकाकरण अभियान और स्कूलों के पुनर्स्थापन/पश्चगठित करने की पहल की जा रही है. राज्य की साय सरकार का मानना है कि बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा ही दीर्घकालिक सामाजिक विकास की नींव हैं.

योजना में आवास और पुनर्वास को भी विशेष स्थान दिया जा रहा है इसमें परिवारों के लिए आवास योजनाएँ, विशेष कर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने वाले परिवारों के पुनर्वास के कार्यक्रम को शामिल किया गया है.आर्थिक सशक्तिकरण के लिए स्वरोजगार, कृषि सुधार, कौशल प्रशिक्षण और स्टार्टअप-समर्थन किया जा रहा है ताकि स्थानीय लोगों को आय के स्थायी स्रोत मिल सकें.नियद नेल्लानार योजना में सुरक्षा कैंप/आधारभूत सुरक्षा-उपकरणों के साथ-साथ स्थानीय निकायों और समुदायों के साथ संयोजन कर विकास और सुरक्षा दोनों को साथ-साथ रखने की व्यवस्था बनाई गई है.

योजना से जन-जन का भरोसा जीता मुख्यमंत्री साय ने

नियद नेल्लानार योजना केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की योजना नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की ऐसी योजना है, जिसे जमीन पर टिकाऊ रूप से लागू करने के लिए राज्य ने एक समेकित रणनीति अपनायी है — जिसमें सुरक्षा बलों के साथ समन्वय, पंचायतों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका, पीड़ित-समुदायों के साथ संवाद और सतत निगरानी को भी शामिल किया गया है. स्थानीय संगठनों (NGOs), वॉचडॉग कमेटियों और आदिवासी नेताओं को निर्णय प्रक्रिया में सम्मिलित किया जा रहा है ताकि फैसले ऊपर से थोपे न जाएँ, बल्कि वो समुदाय के मुताबिक़ हों. इस रणनीति का उद्देश्य विकास के साथ जन-जन का भरोसा भी हासिल करना है. सरकारी तंत्र पर भरोसे के बाद ही लोग सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा पाएँगे.

योजना के क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री की भूमिका और दृष्टि

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कई बार दोहराया है कि बस्तर का विकास केवल सड़क और बिल्डिंग का निर्माण नहीं है — यह लोगों के जीवन स्तर, सम्मान और अवसर लौटाने की लड़ाई है. सीएम ने सार्वजनिक मंचों और लेखों में नीतियों का तर्क बताते हुए कहा है कि शांति और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं — सुरक्षा व्यवस्था और विकासात्मक पहलों के संयोजन से ही स्थायी परिवर्तन संभव है. उनके नेतृत्व में नियद नेल्लानार जैसी योजनाएँ उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी किसी पुनर्वास नीति या आत्मसमर्पण-प्रोत्साहन स्कीम. यह स्पष्ट तौर पर राज्य सरकार की इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता का परिचायक है.

नियद नेल्लानार योजना का जमीन पर असर

नियद नेल्लानार के कुछ ठोस असर और आँकड़े क्षेत्रों में दिखाई देने लगे हैं इस योजना के तहत कई दूरवर्ती गाँवों को प्राथमिक सड़क, पुल और पैदल मार्गों से जोड़ा गया जिससे गाँव और नज़दीकी कस्बों के बीच यात्रा आसान हुई है.

मोबाइल स्वास्थ्य शिविरों के जरिये प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाई गयीं और टीकाकरण/निवारक स्वास्थ्य अभियानों में तेजी आई है. स्थानीय कुटीर उद्योग, शिल्प और कृषि संवर्धन के लिए प्रशिक्षण और क्रेडिट-लिंक्ड सहायता दी गयी है जिससे लोगों को आय के नए स्रोत मिले.राज्य की डबल इंजन सरकार की मुहिम से बड़ी संख्या में माओवादियों ने हथियार डाल कर मुख्यधारा में जुड़ने का मन बनाया है जिनके पुनर्वास, आवास और स्वरोजगार में भी राज्य की नियद नेल्लानार योजना ने काफ़ी सहयोग दिया है.

सामुदायिक सशक्तिकरण को दी जा रही प्राथमिकता

नियद नेल्लानार का केंद्रबिंदु, संरचनात्मक विकास के साथ नागरिक सशक्तिकरण को प्राथमिकता देना भी है. इसके लिए ग्राम पंचायतों और आदिवासी परिषदों को योजना निर्माण और निगरानी में जोड़ा गया, ताकि निर्णय स्थानीय संदर्भ के अनुरूप हों. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महतारी वंदन जैसी योजनाओं की व्यापक पहुँच और स्वरोजगार योजनाएँ तैयार की गई है ताकि परिवारों की आय स्थिर रहे और महिलाएँ आर्थिक रूप से सक्रिय हों.

यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि राज्य की अन्य योजनाएँ भी बस्तर में लागू की जा रही हैं. युवाओं में कौशल उन्नयन के लिए बस्तर में युवा प्रशिक्षण केंद्र, एग्री-प्रोसेसिंग, शिल्प कौशल, छोटे उद्यमों के लिए ऋण सुविधा की व्यवस्था बनाई जा रही है, ताकि हथियार छोड़ने वाले माओवादी युवा भी सामाजिक और आर्थिक जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें. योजना में संस्कृति और परंपरा को सम्मान देते हुए विकास कार्यों का निर्वहन किया जा रहा है जिससे उनमे सामुदायिक समर्थन बना रहे और उनकी स्थानीय पहचान सुरक्षित रहे.

चुनौतियाँ का किया समाधान, नही थी राह आसान

किसी भी बड़े परिवर्तन की तरह नियद नेल्लानार के सामने भी चुनौतियाँ आई मगर राज्य की साय सरकार ने दूरंदेशी के साथ उसका समाधान ढूँढ निकाला है. कुछ क्षेत्रों में अस्थिरता भी हुई और लो-इंटेंसिटी झड़पें भी हुई इसके लिए विकास कार्यों के बीच सुरक्षा व्यवस्था और स्थानीय समर्थन से समाधान निकाला गया. लोक-मन में वर्षों से पनपे अविश्वास को हटाना भी एक बड़ा काम था इसके लिए साय सरकार ने पारदर्शिता के साथ योजनाओं को सुचारु चलाने का काम किया.

नियद नेल्लानार योजना को लागू करने में बस्तर की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियाँ भी बाधक थीं, वर्षा, नदी-जलस्तर और घने जंगल कभी-कभी परियोजना को रोकने का काम करते रहे जिनका भी यथासंभव समाधान निकाला गया.

परिणाम स्वरूप नियद नेल्लानार योजना से गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाएँ, स्कूलों में उपस्थिति और स्थानीय महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है. कुछ स्थानों पर युवा समूहों ने मिलकर कुटीर उद्योग खड़ा किया और गाँव के उत्पादों की मार्केटिंग शुरू की — जिससे समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा. इन सफलताओं का श्रेय न केवल प्रशासनिक मशीनरी को है बल्कि स्थानीय नेतृत्व और जनभागीदारी को भी है.

रजत जयंती वर्ष को सार्थक कर रही है नियद नेल्लानार योजना

छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष (Silver Jubilee year) समारोह केवल उत्सव नहीं बल्कि यह राज्य के लिए आत्मावलोकन का एक अवसर भी है, विकास के लक्ष्यों को निर्धारित करने और उपलब्धियों से उत्साही होने का पर्व है. नियद नेल्लानार जैसी योजनाएँ रजत जयंती के संदेश को जमीन पर लागू करती हैं — यानी कि ‘समावेशी विकास’, जहाँ आदिवासी, दूरदराज के गाँव और नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी राज्य के विकास के लाभ का हिस्सा बनते हैं. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नियद नेल्लानार योजना रजत जयंती वर्ष में विशेष महत्व रखती है — क्योंकि यह बताती है कि राज्य के 25 सालों की यात्रा का अगला चरण ‘सभी के लिए विकास’ का है.