बिलासपुर- नान घोटाला मामले में आरोपी बनाये गये आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत दिए जाने से जुड़े अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच में कोई प्रमाण नहीं पाया गया है. याचिकाकर्ता के वकील अवि सिंह और पीयूष भाटिया ने आज पत्रकारों से बातचीत में बताया कि IAS अनिल टुटेजा को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम ज़मानत के मुख्य आधार ये थे.
1. टुटेजा के ख़िलाफ़ की गई जांच में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है I ( No Direct Evidence )
2. टुटेजा के खिलाफ कोई आय से अधिक सम्पत्ति का मामला नहीं दिखाई देता I ( No Case of Disproportionate Asset )
3. टुटेजा के पास से एक रुपए की भी बरामदगी नहीं हुई I ( Case of Zero Recovery )
4. केंद्र सरकार से जून 2016 में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने के 30 महीने तक चालान पेश नहीं पेश किया गया और अचानक से चुनाव के परिणाम के ठीक 5 दिन पहले चालान पेश किया गया,जो एक गंभीर विसंगति है I
5. नान के एमडी के रुप में टुटेजा का मात्र 8 माह का कार्यकाल था, जिसमें ना तो कभी खराब चावल लिया गया और ना ही सरकार को कोई क्षति पहुँची I
6. जब किसी को अपनी पूर्ण जाँच के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया गया तो अब जाँच होने के और चालान पेश होने के 4 साल बाद गिरफ़्तार करने का कोई कारण नहीं बनता I
7. पूर्व जाँच ही एक विवादास्पद स्थिति में खड़ी है, जिसमें की पूरी जाँच का मक़सद किसी को फँसाना और किसी को बचाना था I
उपरोक्त तमाम तथ्यों को याचिकाकर्ता अनिल टुटेजा के वकीलों ने अपनी दलील में रखा,जिस पर सहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने टूटेजा को अग्रिम जमानत प्रदान करने का निर्णय लिया.