No Kings Protest: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की नीतियों के विरोध में एक बड़ा वैश्विक आंदोलन शुरू हो गया है। इस अभियान का नाम ‘No Kings’ रखा गया है, जिसका मतलब है, हम किसी राजा को नहीं मानते। यह आंदोलन अमेरिका से शुरू होकर यूरोप और अब एशिया तक फैल चुका है। 18 अक्टूबर को डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के विरोध में वॉशिंगटन से लंदन तक लाखों लोग सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की माइग्रेशन, एजुकेशन और सिक्योरिटी नीतियों के खिलाफ वॉशिंगटन डीसी के डाउनटाउन में लाखों लोग शामिल हुए। अमेरिका समेत दुनियाभर में 2600 से अधिक प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें 300 से अधिक स्थानीय संगठनों ने सहयोग किया।
लंदन की रैली, अमेरिका और दुनियाभर में आयोजित 2600 से अधिक विरोध प्रदर्शनों में से एक है। इसी तरह के प्रदर्शन स्पेन के मैड्रिड और बार्सिलोना में भी हुए। वहीं, अमेरिका के बड़े शहरों, उपनगरों और छोटे कस्बों में हज़ारों लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
क्यों हो रहा है विरोध
गठबंधन ने विरोध का कारण बताते हुए कहा है कि ट्रंप की बढ़ती तानाशाही और भ्रष्टाचार की वजह से यह आंदोलन हो रहा है। जिसमें बड़े पैमाने पर निर्वासन (deportation), स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती, चुनावी नक्शों में हेरफेर (gerrymandering) और अरबपतियों के हित में आम परिवारों की अनदेखी शामिल है। आंदोलन खुद को लोकतंत्र समर्थक (pro-democracy) और श्रमिक समर्थक (pro-worker) बताता है और सत्तावादी राजनीति को खारिज करता है, यह वादा करते हुए कि वे सही प्रतिनिधित्व मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
300 से अधिक संगठनों का समर्थन
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज़ यूनियन (ACLU) ने बताया कि उसने हज़ारों वॉलंटियर्स को कानूनी और तनाव कम करने से जुड़े प्रशिक्षण दिए हैं, ताकि वे विभिन्न शहरों में होने वाले मार्चों में मार्शल की भूमिका निभा सकें। सोशल मीडिया पर ‘नो किंग्स’ प्रोटेस्ट के विज्ञापनों और मैसेजेस ने भी प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की।

कहां-कहां हो रहा प्रोटेस्ट?
आयोजकों का कहना है कि पूरे अमेरिका में 2,500 से ज्यादा विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई गई है — जिनमें बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बे भी शामिल हैं और ये सभी 50 राज्यों में होंगे। 18 अक्टूबर के इस डे ऑफ एक्शन के लिए आयोजकों ने कई प्रमुख शहरों को anchor cities के रूप में चिन्हित किया है, जिनमें शामिल हैं:
- वॉशिंगटन डी.सी.
- सैन फ्रांसिस्को
- सैन डिएगो
- अटलांटा
- न्यूयॉर्क सिटी
- ह्यूस्टन (टेक्सास)
- होनोलूलू
- बोस्टन
- कैनसस सिटी (मिसौरी)
- बोज़मैन (मोंटाना)
- शिकागो
- न्यू ऑरलियन्स
प्रदर्शन अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर शुरू होंगे।

क्या है नो किंग्स प्रोटेस्ट?
नो किंग्स वामपंथी झुकाव वाले कई संगठनों का गठबंधन एक है। जोकि एक बार फिर पूरे अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहा है. यही गठबंधन जून में भी No Kings नामक विरोध प्रदर्शन आयोजित कर चुका है। इन प्रदर्शनों का नाम No Kings इसलिए रखा गया है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अमेरिका में कोई राजा या निरंकुश शासक नहीं होता — और यह ट्रंप के बढ़ते अधिनायकवाद (authoritarianism) पर सीधा निशाना है।
प्रदर्शन की आधिकारिक वेबसाइट nokings.org पर लिखा है: NO KINGS सिर्फ एक नारा नहीं है, यह हमारे देश की बुनियाद है. यह सड़कों पर जन्मा, लाखों लोगों ने इस नारे को लगाया, पोस्टरों और नारों में इसे उठाया। यह शहरों की गलियों से लेकर छोटे कस्बों के चौकों तक गूंजता है, पूरे देश को तानाशाही के खिलाफ एकजुट करता है।
ट्रंप बोले- मैं राजा नहीं हूं
इन प्रदर्शनों पर राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से अधिक प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि फॉक्स बिज़नेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे मुझे राजा कह रहे हैं, लेकिन मैं राजा नहीं हूं।
यह भी पढ़ेंः- ‘एक मूर्ख की वजह से देश इतना नुकसान नहीं झेल सकता…,’ किरेन रिजिजू का राहुल गांधी पर करारा वार, बोले- अब हर बिल पास कराएगी सरकार
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक