ओस्लो (नार्वे)। लंबे समय से इंतजार किए जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. इस बार यह पुरस्कार बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बिआलियात्स्की के साथ रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन ‘सिविल लिबर्टीज़’ को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है.

नोबेल प्राइज़ कमेटी ने सम्मान की घोषणा करते हुए कहा कि पीस प्राइज़ से सम्मानित व्यक्ति और संस्थाएं अपने-अपने देशों में सिविल सोसायटी का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने सालों तक सत्ता की आलोचना के अधिकार नागरिकों के बुनियादी अधिकारों के संरक्षण के लिए काम किया है. उन्होंने युद्ध अपराधों और सत्ता के दुरुपयोग के मामलों के डॉक्युमेंटेशन के लिए बेहतरीन काम किया है. वे शांति और लोकतंत्र के लिए सिविल की अहमियत को दिखलाते हैं.

नोबेल शांति पुरस्कार

बता दें कि नोबल पुरस्कार भौतिक, रसायन, साहित्य सहित अन्य क्षेत्रों के लिए दिया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा इंतजार नोबेल शांति पुरस्कार का रहता है. क्योंकि यह पुरस्कार समाज से सीधे तौर पर जुड़े व्यक्ति अथवा संस्था को प्रदान किया जाता है. इस साल 300 से ज़्यादा कैंडिडेट इस रेस में थे, जिनमें भारत के भी लोगों के नाम शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे.

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