स्काटहोम। वर्ष 2019 का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार भारतवंशी अभिजीत बैनर्जी के अलावा एस्थर डुफ्लो और मिशेल क्रेमर को गरीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए देने की घोषणा की है. नोबल पुरस्कार के तौर पर मिलने वाले 9 मिलियन स्वीडिश क्रोनर तीनों के बीच बांटा जाएगा.

द रायल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि वैश्विक गरीबी को दूर करने के लिए इन तीनों के प्रायोगिक दृष्टिकोण ने वैश्विक गरीबी को दूर करने के हमारे प्रयास को मदद पहुंचाई. बीते दो दशकों से तीनों के प्रायोगिक दृष्टिकोण से विकासात्मक अर्थशास्त्र को बदल दिया. आज शोध के क्षेत्र में यह विकसित हो रहा है.

भारत में जन्मे 58 वर्षीय अभिजीत बैनर्जी ने जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया है. वर्तमान में अमरीका के नामी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT)  में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे हैं. वहीं उनकी पत्नी पेरिस में जन्मीं 47 वर्षीय एस्थर डुफ्लो भी एमआईटी से पीएचडी करने के बाद पढ़ा रही हैं. 55 वर्षीय मिशेल क्रेमर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने के साथ वहां पढ़ा रहा हैं.