मुंबई. सेक्शुअल संबंधों के दौरान आख़िर अलग-अलग तरह की आवाज़ों का क्या अर्थ है? क्या आपने कभी फ़िल्मों में अंतरंग पलों को देखते हुए इस बात पर ग़ौर किया है कि उस दौरान महिलाएं और पुरुष अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकालते हैं? इसकी सच्चाई जानने के लिए पिछले दिनों रिसर्च हुई. (यहां क्लिक कर देखे एक वीडियो)

 अपने हनीमून के तुरंत बाद का एक क़िस्सा याद करते हुए एक नवविवाहिता बताती हैं, ‘‘हमें तो इस बात का एहसास ही नहीं था कि निजी पलों के दौरान हम वाक़ई बहुत ज़ोर से आवाज़ निकाल रहे हैं. जब हमारे बगल के कमरे से एक महिला ने आधी रात को हमार डोर नॉक किया और पूछा कि सब ठीक तो है? तब मुझे और मेरे पति को इस बात का एहसास हुआ कि ये आवाज़ें शायद कुछ ज़्यादा ही तेज़ रही होंगी.’’ प्रिया (बदला हुआ नाम) और उनके पति जब इस बारे में बात कर रहे थे तो उन्हें महसूस हुआ कि एक-दूसरे के स्पर्श से होनेवाली अनुभूति और सुख को वे इन आवाज़ों के ज़रिए एक-दूसरे तक संप्रेषित कर रहे थे.

सेक्स के दौरान निकाली जानेवाली आवाज़ों पर यूनिवर्सिटी ऑफ़ लैंकशायर और यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीड्स के शोधों में पता चला है कि अक्सर महिलाएं ज़्यादा आवाज़ निकालती हैं और वे ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि उनका साथी बेहतर ऑर्गैज़्म पा सके. 18 से 48 वर्ष की 71 सेक्शुअली सक्रिय महिलाओं पर किए गए इस शोध में यह भी सामने आया है कि महिलाओं को फ़ोरप्ले या दूसरी गतिविधियों के दौरान ऑर्गैज़्म प्राप्त हो जाता है और वे सेक्स के दौरान अपनी साथी को क्लाइमैक्स पर पहुंचाने के लिए आवाज़ें निकालती हैं. शोध में 66 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि आवाज़ें निकालने से उनके साथी का इजैकुलेशन जल्दी होता है. पार्टनर के जल्द इजैकुलेशन की चाहत के पीछे कई महिलाओं ने सेक्स के दरम्यान असहजता, दर्द, ऊब, तनाव और समय की कमी की बात भी कहीं. वहीं 92% ने माना कि आवाज़ें निकालने से सेक्शुअल गतिविधि के दौरान उनका और उनके पार्टनर का आत्मविश्वास बढ़ता है.