दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद नॉन ऑफिशियल स्टाफ पर गाज गिर सकती है. दिल्ली के मुख्य सचिव ने सरकार के अधीन आने वाले सभी विभागों को यह नोटिस भेजा है. नोटिस में मुख्य सचिव ने सभी विभागीय प्रमुखों से कहा है कि उनके यहां जितने भी गैर-ऑफिशियल कर्मचारी हैं. उनकी लिस्ट बनाई जाए और जल्द ही उन्हें सौंपा जाए.
दरअसल, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल सरकार में विभिन्न विभागों में कई गैर-ऑफिशियल कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी. मुख्य सचिव ने उन्हीं कर्मचारियों को नोटिस भेजा है, और सूत्रों का कहना है कि नई सरकार के गठन के साथ ही गैर-ऑफिशियल कर्मचारियों को नौकरी से हटाया भी जा सकता है.
कौन होते हैं नॉन ऑफिशियल स्टाफ?
नॉन ऑफिशियल स्टाफ किसी सरकारी व्यवस्था में गैर-आधिकारिक कर्मचारियों को कहते हैं जो सरकारी संगठनों में स्थायी तौर पर काम करते हैं. ऐसे कर्मचारियों को नियमित सिविल सेवा का हिस्सा नहीं माना जाता है और सरकारी पद नहीं दिए जाते हैं; वे सलाहकार या निर्णय लेने वाली समितिओं या बोर्डों में सहयोगी और विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं.
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नौकरी में बने रहना मुश्किल
विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी को सरकार बनाने का 27 साल बाद जनता ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख अरविंद केजरीवाल की सरकार ने कई विभागों में गैर-ऑफिशियल कर्मचारियों की नियुक्ति की थी. इन कर्मचारियों की नौकरी सरकार की मर्जी पर निर्भर करती है.
यही कारण है कि नई सरकार बनने से पहले ही मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों से गैर-ऑफिशियल कर्मचारियों की सूची मांगी है. ऐसा किया गया है ताकि नई सरकार उन्हें मांगने पर उन्हें उपलब्ध कराया जा सके.
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