Indian Temples where Non Veg served: जब हम मंदिरों के प्रसाद की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में फल, मिठाई या सूखे मेवे आते होगें. मतलब एकदम शुद्ध शाकाहारी प्रसाद जिसमे प्याज-लस्सान तक न हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कई मंदिरों में चौमीन, मोमो और चॉकलेट, यहां तक कुछ मंदिरो में तो की नॉन वेज जैसे मटन, मछली, तक देवी-देवताओं को चढ़ाई जाती है. यदि आपका जवाब है नहीं, तो चलिए आज आपको उन मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां भगवान को प्रसाद के रूप में नॉनवेट चढ़ाया जाता है. इसके अलावा आपको उन मंदिरों के बारे भी में बताएंगे जहां प्रसाद के रूप में चाऊमीन और मंच चॉकलेट मां को चढ़ाई जाती है.
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झारखंड का Rajrappa Temple

झारखंड में स्थित कई प्राचीन मंदिर अपने धार्मिक महत्व और समृद्ध इतिहास के लिए मशहूर हैं. इन्हीं प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक है, रामगढ़ जिले में स्थित मां छिन्नमस्तिका का मंदिर. इस मंदिर को रजरप्पा मंदिर के नाम से जाना जाता है, जहां हर रोज हजारों भक्त माता के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है. इस मंदिर में स्थापित माता की मूर्ति काफी रहस्यमय और अनोखी है. मां छिन्नमस्तिका मंदिर में मां की सिर कटी प्रतिमा विराजित है, जिससे रक्त की धारायें बाहर निकल रही है. यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी काफी प्रसिद्ध है.
यहां मां छिन्नमस्तिका को चढ़ाया जाता है मटन का प्रसाद. जी हां, सैकड़ों श्रद्धालु मां को बकरे की बलि चढ़ाते हैं और फिर वही मटन खुद प्रसाद के रूप में खाते हैं. यह परंपरा कोई नई नहीं, सदियों से चली आ रही है.
हैदराबाद की ‘जिंदा मछली’ प्रसाद

हैदराबाद में हर साल जून के महीने में हजारों लोग एक खास प्रसाद के लिए इकट्ठा होते हैं. अस्थमा से पीड़ित मरीज यहां ‘जिंदा मछली’ निगलते हैं. इसे ‘गुट्टी का प्रसाद’ कहा जाता है. इसे खाने वालों को विश्वास है कि इससे दमा की बीमारी ठीक होती है.
Muniyandi Swami Temple में का मटन प्रसाद

मुनियांदी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु के मदुरै जिले में वडक्कमपट्टी गांव में स्थित है. यह मंदिर भगवान मुनियांडी को समर्पित है, जो भगवान शिव के एक रूप माने जाते हैं. हर साल, मंदिर में एक तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाता है, जिसमें प्रसाद के रूप में मटन बिरयानी और चिकन परोसे जाते हैं.
क्या है मान्यता?
इस उत्सव की शुरुआत 1973 में हुई थी, जहां मदुरै जिले के वडक्कमपट्टी गांव के एक निवासी ने होटल व्यवसाय शुरू किया था. उसका व्यवसाय काफी अच्छा चल रहा था और उसे लगातार सफलता मिल रही थी, जिसके कारण उसने अपने देवता को धन्यवाद देने के लिए एक भव्य दावत शुरू की. दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद गांव के लगभग सभी लोग होटल व्यवसायी बन गए हैं. इसके बाद से हर साल इस महोत्सव के जरिए यह लोग अपने देवताओं को धन्यवाद कहते हैं.
यह होटल मांसाहारी भोजन परोसते हैं और इनके होटल का नाम भी अपने स्थानीय देवता मुनियांदी के नाम पर रखे जाते हैं. वर्तमान में, दक्षिण भारत में 500 से अधिक मुनियांदी होटल हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि उनके भगवान मुनियांदी को उनकी बिरयानी बहुत पसंद है.
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कोलकाता का ‘Chinese Kali Temple’

कोलकाता के टंगरा इलाके में एक अनोखा मंदिर है, जहां मां काली को चढ़ाया जाता है मोमोज और नूडल्स. यहां की श्रद्धा भी चायनीज स्वाद में डूबी हुई है. भक्तों का मानना है कि मां काली सब कुछ स्वीकार करती हैं, चाहे वो हलवा हो या हक्का नूडल.
यहां भगवान को चढ़ाई जाती है Munch, मंदिर का नाम है Munch Murugan Temple

केरल के एक मंदिर में एक बच्चे ने मंच चॉकलेट मां को न केवल चढ़ाई जाती है, बल्कि फूलों के जगह इसी चॉकलेट की माला बनाकर मां को चढ़ाई जाती है. यह चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा एक बच्चे की मान्यता से शुरू हुई, जिसने भगवान मुरुगन को मंच चॉकलेट अर्पित की और उसके बाद उसकी तबीयत में सुधार हुआ. इस घटना ने भक्तों के बीच यह विश्वास स्थापित किया कि भगवान मुरुगन को चॉकलेट पसंद है और इससे उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं. भक्त अपने वजन के बराबर चॉकलेट चढ़ाते हैं, जिससे यह पूजा एक अनूठा अनुभव बन जाती है और लोग इसे श्रद्धा के साथ निभाते हैं.
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