प्योंगयोंग (उत्तर कोरिया)। उत्तर कोरिया में तानाशाही है, और बिना किसी चुनाव के नेता सत्ता पर काबिज रहते हैं. अगर ऐसा आप सोचते हैं, तो गलत हैं. उत्तर कोरिया में हुए ताजा चुनाव में किम जोंग उनकी पार्टी वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया ने 99.91% वोटों के साथ जीत हासिल की है. इसके साथ ही उनके सत्ता पर बने रहने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

उत्तर कोरिया में होने वाले चुनाव को लेकर आपके मन में कौतुहल है तो बताते चलें कि भारत में जिस तरह से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं, उसी तरह उत्तरी कोरिया में सुप्रीम पीपुल एसेंबली और लोकल पीपुल एसेंबली के चुनाव होते हैं. सुप्रीम पीपुल एसेंबली चुनाव के जरिए किम जोंग को चुना जाता है. ये चुनाव हर साल में चार बार होता है.

लोगों के लिए वोट डालना जरूरी

उत्तरी कोरिया में सभी मतदाताओं के लिए वोट देना अनिवार्य है. यही वजह है कि यहां वोट प्रतिशत भी 98-99 फीसदी रहता है. सिर्फ वो ही लोग वोट नहीं दे पाते हैं, जो देश से बाहर होते हैं. यहां बैलेट के जरिए चुनाव होते हैं, और करीब 4 महीने में वोट के रिजल्ट भी आते हैं. जो मतदान केंद्र नहीं जा पाते, वो फोन से वोट देते हैं.

कैसे होता है चुनाव

अब आते हैं मुद्दे की बात पर. उत्तरी कोरिया में तानाशाही चलती है, यह तो आप जानते हैं. लिहाजा, चुनाव भी उसी अंदाज में होता है. तानाशाह किम जोंग चुनाव में खड़े होते हैं. मतदाताओं को उनकी पार्टी को वोट देना होता है. इसमें एक कार्ड होता है, जिसमें किम जोंग की पार्टी का नाम लिखा होता है, इसमें पार्टी को पसंद या नापसंद करना होता है. माहौल ऐसा है कि कोई भी मतदाता नापसंद करने की हिमाकत नहीं कर सकता है, लिहाजा किम जोंग की पार्टी कमोबेश पूर्ण बहुमत से जीतती है.

ऐसे आते हैं रिजल्ट

मतदान के महीनों बाद नतीजे आते हैं, और नतीजों में किम जोंग निर्विरोध जीत दर्ज कराते हैं. साल 2019 में उत्तर कोरिया में कुल 687 सीटों के लिए चुनाव हुए और वर्कर पार्टी ऑफ कोरिया के उम्मीदवारों को जीत मिली. इस बार किम जोंग की पार्टी वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया ने 99.91% वोटों के साथ जीत हासिल की है.