लखनऊ: पूरे देश में बकरीद का पर्व मनाया जा रहा है. ईद-उल-अजहा कुर्बानी का त्योहार है, इस दिन लोग किसी जानवर की कुर्बानी देकर ईद का त्योहार मनाते हैं. लेकिन, प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कुछ लोग इस बार इस पर्व पर अनोखा काम करने जा रहे हैं. त्योहार को ईको फ्रेंडली तरह से मनाने के लिए लोग बकरे की जगह बकरे की तस्वीर वाले केक काटने का फैसला किया है.
लखनऊ में ईद की तैयारियां पूरी हो गई हैं. इस बार कुछ लोगों ने इस विवाद से बचते हुए ईद पर जानवर को काटने की बजाय केक काटने का फैसला किया है. इन लोगों का कहना है कि बकरीद पर बकरे की कुर्बानी की प्रथा ठीक नहीं है, हम सबसे अपील करते हैं कि इस बकरीद को जानवर काटकर नहीं बल्कि केक काटकर मनाएं.
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद शिया मौलवी मौलाना सैफ अब्बास ने कहा था कि अटलजी के निधन के शोक में हमारा राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ है, इसलिए मुस्लिम भाइयों से अपील है कि बकरीद का त्योहार साधारण तरीके से मनाएं.
बकरीद का त्योहार मनाने के कारण इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरआन में मिलता है. कुरआन में लिखा है कि एक दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे खास और प्रिय की कुर्बानी मांगी थी. अल्लाह के हुकूम का पालन करने के हुए हजरत साहब ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया. उन्होंने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए उसकी गर्दन पर वार किया, उसी वक्त अल्लाह ने चाकू की वार को मोड़कर बकरे की कुर्बानी दी. तभी से सारे देश में बकरीद का त्योहार हजरत इब्राहिम की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है.