रायपुर। रक्षाबंधन एक ऐसा अवसर होता है, जब भाई-बहन का प्यार खुलकर नजर आता है. एक-दूसरे से सौ-हजार कोस दूर भी बैठे हों तो भी याद कर ही लेते हैं. ऐसा ही नजारा केंद्रीय जेल के बाहर देखने को मिला, जहां कैद अपने भाई से मिलने बुजुर्ग गुड्डी बाई जबलपुर से अकेले ट्रेन में बैठकर पहुंच गई.

न ठीक से दिखाई नहीं देता और न ही सुनाई देता है, इस उम्र में जहां खुद को संभाल पाना मुश्किल है, ऐसे में गुड्डी बाई अकेले ट्रेन से सफर कर जबलपुर से रायपुर पहुंची है, गुड्डी बाई के भाई का नाम कत्ल के मामले में केंद्रीय जेल में कैद है, गुड्डी बाई बताती हैं कि काफी दूर से आई हैं, उन्हें पता नहीं था कि भाई से मिलने नहीं दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से पिछले साल गाड़ियां नहीं चल रही थी, इस वजह से पहुंच नहीं पाई थी, सोचा था इस बार मुलाकात हो जाएगी, लेकिन इस बार भी मिलने नहीं दिया जा रहा है, अब वापस लौटना होगा. लिफाफा सिस्टम होने की वजह से गुड्डी बाई ने मेडिकल स्टोर से लिफाफा लेकर राखी डालकर अपने भाई तक पहुंचाया.

किन्नरों ने पेड़ को भाई मानकर बांधी राखी

रक्षाबंधन के अवसर पर किन्नरों ने पेड़ के साथ राखी बांधकर उनकी सुरक्षा करने का संकल्प लिया. तृतीय लिंग समुदाय कल्याण संघ की सदस्य विद्या राजपूत ने कहा कि समाज में उन्हें कोई स्वीकार नहीं करता, ट्रांसजेंडर होने के बाद भी परिवार के साथ वह त्योहार नहीं मना सकते, इसलिए उन्होंने सोचा कि इस बार पेड़ के साथ राखी मनाया जाए और पेड़ को राखी बांधकर उनकी सुरक्षा करने का संकल्प लिया जाए. रायपुर के सोंडोंगरी और सरोना के गरिमा गृह में किन्नरों ने पेड़ की पूजा कर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया.