बिलासपुर- यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी एडीजी पवन देव को कैट ( केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण) से मिली राहत पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. महिला कांस्टेबल से यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद रेणु पिल्लई की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी ने पवन देव को दोषी मानते हुए अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी, लेकिन शासन ने इस रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की,बल्कि अप्रेल 2018 में पवनदेव के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से एक नया चार्जशीट तैयार कर दिया गया.पवन देव ने सरकार द्वारा तैयार की गई चार्जशीट खारिज किए जाने की मांग को लेकर कैट में अपील दायर की थी, जहां से उन्हें स्टे मिल गया. कैट से मिले स्टे को पीड़िता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने का आदेश पारित किया है. साथ ही साथ पवन देव को भी नोटिस जारी किया गया है. हाईकोर्ट ने 11 जुलाई तक गृह सचिव और डीजीपी को पवन देव के विरूद्ध की गई कार्रवाई से अवगत कराने हेतु शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं.
इस संबंध में हाईकोर्ट में पीड़िता के अधिवक्ता सौरभ डांगी ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि राज्य शासन ने पवनदेव यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिये रेणु जी पिल्लई की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई थी,जिसने आईपीएस अधिकारी पवनदेव को यौन उत्पीड़न मामले में दोषी करार दिया था.लेकिन राज्य शासन ने इस रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई न कर अप्रेल 2018 में पवनदेव के खिलाफ नया चार्जशीट जारी कर दिया,जबकि नियमानुसार रेणु पिल्लई की रिपोर्ट के आधार पर ही पवनदेव के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी. सरकार द्वारा अप्रेल 2018 में जारी चार्जशीट के खिलाफ पवनदेव ने कैट की शरण लेकर स्टे ले लिया था.अधिवक्ता सौरभ डांगी ने बताया कि पवनदेव ने कैट में दायर की गई अपनी याचिका में पीड़िता को पक्षकार नहीं बनाया था,जो कि गलत था.यह बात हमने हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया,जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को कैट में पक्षकार बनाने के लिये हमारी ओर से पत्र भेजा जायेगा.