बालोद। राज्य शासन ने हड़ताल में गए शिक्षाकर्मियों के ऊपर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है. इसकी शुरुआत बालोद जिला से गुरुवार को हो गई है.  प्रशासन ने जिले में कार्यरत शिक्षाकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरु कर दी है. जिसके तहत 657 शिक्षाकर्मियों को नोटिस जारी कर दो दिन के अंदर काम में लौटने के लिए कहा गया है.

जिला पंचायत सीईओ राजेन्द्र कटारे की ओर से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि जिले में कार्यरत व्याख्याता पंचायत, शिक्षक पंचायत, सहायक शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारी अनाधिकृत रूप से 20 नवम्बर 2017 से आंदोलनरत हैं. इन शिक्षाकर्मियों को अपनी संबंधित शालाओं में उपस्थित होने 21 नवम्बर 2017 को नोटिस जारी कर उपस्थित होने निर्देशित किया गया था, किन्तु वे उपस्थित नहीं हुए.

उन्होंने बताया कि इन शिक्षाकर्मियों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ पंचायत (अनुशासन तथा अपील) नियम 1999 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए जिले के 657 शिक्षाकर्मियों को सेवा से पृथक करने की कार्यवाही की जा रही हैं. जिसमें बालोद विकासखण्ड के 121 शिक्षाकर्मी, गुण्डरदेही विकासखण्ड के 149 शिक्षाकर्मी, गुरूर विकाखण्ड के 128 शिक्षाकर्मी, डौण्डी विकासखण्ड के 98 शिक्षाकर्मी और डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के 161 शिक्षाकर्मी शामिल हैं.

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि सभी संबंधित शिक्षाकर्मियों  को तत्काल अपने कार्य पर उपस्थित होने सूचित किया गया है, 24 नवम्बर 2017 तक शेष शिक्षाकर्मी अपने शाला में उपस्थित नहीं होते हैं तो उन्हें भी सेवा से पृथक करने की कार्यवाही की जाएगी.

हालांकि जिला कलेक्टर सारांश मित्तर ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया है कि अभी किसी भी शिक्षाकर्मी को बर्खास्त नहीं किया गया है. उन्हें नोटिस जारी कर दो दिन के भीतर काम में लौटने के लिए कहा गया है.