नई दिल्ली. आयकर विभाग (Income tax department) ने 22 हजार करदाताओं को नोटिस जारी किए हैं. ये नोटिस आकलन वर्ष 2023-24 के लिए भरे गए आयकर रिटर्न (income tax return) में मिली विसंगतियों के लिए भेजे गए हैं. बताया जा रहा है कि रिटर्न की जानकारियां और फॉर्म 16 या वार्षिकी सूचना रिपोर्ट (AIS) के आंकड़ों से नहीं मेल नहीं खा रहा है.
इनमें वेतनभोगी, अविभाजित हिन्दू परिवार, उच्च आयवर्ग वाले करदाता और ट्रस्ट शामिल हैं. विभाग ने वेतनभोगियों को करीब 12 हजार नोटिस भेजे हैं, जहां उनके दावे और विभाग के आंकड़ों में 50 हजार रुपये से ज्यादा का अंतर है. वहीं, लगभग आठ हजार ऐसे करदाताओं को नोटिस भेजे गए हैं, जिन्होंने हिन्दू अविभाजित परिवार के तहत रिटर्न दाखिल किया है और दाखिल रिटर्न और विभाग के आंकड़ों के बीच आय का अंतर 50 लाख रुपये से अधिक है.
इसलिए स्पष्टीकरण मांगता है विभाग
किसी करदाता के सालभर के लेनदेन का लेखा-जोखा फॉर्म-16 और फॉर्म 26एएस या एआईएस में दर्ज होता है. जब करदाता आईटीआर दाखिल करता है तो आयकर विभाग उसका मिलान इन दस्तावेजों से करता है. कोई भी जानकारी या दावा गलत पाए जाने पर विभाग नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांग सकता है.
दो लाख रिटर्न में मिली अनियमितता
विभाग के अनुसार, प्राथमिक आधार पर किए गए डाटा विश्लेषण में लगभग दो लाख आयकर रिटर्न में अनियमितता की पहचान की गई है. इन मामलों में कुल घोषित आय या खर्च या बैंक खाते का ब्योरा करदाता द्वारा उपलब्ध कराए गई जानकारी से मेल नहीं खाता है. विभाग ट्रस्ट, साझेदारी फर्मों और छोटे व्यवसायों के मामले में भी डाटा का विश्लेषण कर रहा है.
समय पर जवाब दें
विभाग ने कहा कि अगर करदाता नोटिस का जवाब नहीं देते हैं या कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाते हैं तो डिमांड नोटिस पर कार्रवाई की जाएगी. कर विशेषज्ञों के अनुसार, नोटिस का समय पर जवाब देना जरूरी है. अगर कोई करदाता जवाब नहीं देता है तो विभाग ऐसे मामलों को कर चोरी की श्रेणी रख देता है और कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर देता है. ऐसे लोगों पर कुल देय आयकर का 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है.