रायपुर। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जल संरक्षण और वन मार्ग के उन्नयन के लिए त्रुटिपूर्व स्थल चयन कर शासन को क्षति पहुंचाने पर तत्कालीन डिप्टी डीएफओ आलोक तिवारी और विश्वेश कुमार के नाम आरोप पत्र जारी किया है. दोनों अधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. इसके साथ एक अधिकारी को भी आरोप पत्र जारी करने की तैयारी है.
जानकारी के अनुसार, मामला कई सालों से दबा हुआ था, लेकिन पदोन्नति के समय वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने लिखित में जानकारी मांगी, तब उनके विरुद्ध गड़बड़ी का मामला सामने आया. सीएजी (CAG) की मामले में विभागीय जांच की अनुशंसा की बात सामने आई. लेकिन सीएजी की अनुशंसा पर कार्रवाई करने के बजाए अधिकारियों ने फ़ाइल दबा दी थी.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक की ओर से भारतीय वन सेवा अधिकारी विश्वेश कुमार वर्ष 2010-11 में रायपुर वन मंडल में कसडोल उप वनमण्डलाधिकारी रहते हुए बाढ़ आपदा राहत निधि मद के तहत देवपुर, अर्जुनी वन परिक्षेत्र में भू-जल संरक्षण कार्य तथा वन मार्ग का उन्नयन कार्यों में हुई गड़बड़ियों से शासन को हुई क्षति के लिए जिम्मेदार मानते हुए आरोप पत्र भेजा है. इसका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. जवाब नहीं दिए जाने की स्थिति में सरकार की ओर से अग्रिम कार्रवाई की बात कही गई है.
इसी तरह रायपुर वन मंडल में तत्कालीन उप वनमण्डलाधिकारी भारतीय वन सेवा अधिकारी आलोक तिवारी को नोटिस जारी कर अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2010-2011 में बाढ़ आपदा राहत निधि मद से रायपुर उप वनमण्डल अंतर्गत लवन वन परिक्षेत्र में भू-जल संरक्षण कार्य और वन मार्ग का उन्नयन कार्यों के लिए त्रुटिपूर्ण स्थल चयन से हुई शासन को हानि के लिए जिम्मेदार मानते हुए आरोप पत्र भेजा है. इसका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. जवाब नहीं दिए जाने की स्थिति में सरकार की ओर से अग्रिम कार्रवाई की बात कही गई है.