रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके के सतत् प्रयासों से राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अनेक गांवों के रहवासियों को बड़ी राहत मिली है. राज्यपाल को अनुसूचित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामवासियों ने अनेकों बार ज्ञापन देकर अनुरोध किया था कि पांचवी अनुसूची के क्षेत्र के तहत् आने वाली ग्राम पंचायतें जो पूर्व में नगर पंचायत में शामिल कर ली गई थी, उन्हें पुनः ग्राम पंचायत बनाया जाए, क्योंकि नगर पंचायत में शामिल होने के कारण उन गांवों में आरक्षण में परिवर्तन, ग्रामीण क्षेत्रों को मिलने वाली राशि एवं अन्य लाभ नहीं मिल पा रहा था.
इस पर राज्यपाल उइके ने पूरी संवेदनशीलता के साथ विचार करते हुए वनवासियों के अधिकार के लिए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को समय-समय पर पत्र लिखकर निर्देश दिए थे. उइके ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखकर इस संबंध में अवगत कराया था. पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में राज्यपाल को विशेषाधिकार होता है.
राज्यपाल के निर्देशानुसार परीक्षण कर राज्य शासन ने 03 नगर पंचायतों में शामिल ग्राम पंचायतों के क्षेत्रों को पृथक करने संबंधी आदेश राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है, जिससे अनुसूचित क्षेत्र के रहवासियों को अत्यंत राहत मिली है.
राज्य शासन द्वारा जारी राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार नगर पंचायत डौण्डी (जिला-बालोद) की सीमा में सम्मिलित ग्राम पंचायत/ग्राम उकारी को पृथक किया गया है. इसी प्रकार नगर पंचायत चिखलाकसा (जिला-बालोद) की सीमा से ग्राम पंचायत/ग्राम कारूटोला, झरनदल्ली (भोयरटोला), कुंजामटोला को पृथक किया गया है.
जिला-दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा की नगर पालिका परिषद् बड़े बचेली की सीमा से महात्मा गांधी वार्ड से बड़ेपारा, शहीद वीर नारायण वार्ड से पांडूपारा, लाल बहादुर शास्त्री वार्ड से तामोपारा, सुभाष चंद्र वार्ड से चालकी पारा, मांझीपारा, कोवा पारा, पटेल पारा, पुजारी पारा, महरा पारा, काया पारा, कुम्हार पारा को पृथक किया गया है.
राजभवन सचिवालय से पूर्व में नगर पंचायत प्रेमनगर, बस्तर एवं नरहरपुर नगर पंचायत को पुनः ग्राम पंचायत बनाने के संबंध में पत्र भेजा गया था, जिस पर शासन स्तर पर कार्रवाई लंबित है. राज्यपाल द्वारा शेष नगर पंचायतों के ग्राम पंचायतों में विघटन के किये पुनः स्मरण पत्र लिखा गया है.
राज्यपाल उइके को नगर पंचायत चिखलाकसा और नगर पंचायत डौण्डी से हाल ही में पृथक किए गए ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधिमण्डल ने अवगत कराया कि उनकी पंचायतों को विकास के लिए शासन द्वारा आबंटित राशि और मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. इस संबंध में भी राजभवन सचिवालय से राज्य शासन को पूर्व की तरह उक्त ग्राम पंचायतों के विकास के लिए आबंटित राशि और सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में पत्र भेजा गया है.