रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार अब शराब की होम डिलीवरी करेगी. मोबाइल फोन और व्हाट्स एप से यह आर्डर लिया जाएगा और डिलीवरी बाॅय के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाएगी. सरकार ने अपनी दलील में कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव रोकने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए जाने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है. शराब की होम डिलीवरी पर बीजेपी ने आपत्ति दर्ज करते हुए आरोप लगाया है कि शराबबंदी की वकालत करने वाली सरकार डिलीवरी बाॅय के रूप में लाइसेंसधारी कोचिए की नियुक्ति कर रही है. सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है. इस फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए.

कोरोना संकट की वजह से देशभर में लागू लाॅकडाउन के बीच राज्य सरकार ने शराब दुकानों को बंद कर दिया था. बीते डेढ़ महीने से राज्य में शराब दुकानों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगी हुई थी. लाॅकडाउन की मियाद 14 मई तक बढ़ाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने नए सिरे से एडवायजरी जारी कर रेड, आरेंज और ग्रीन जोन के दायरे में आने वाले जिलों में कई तरह की आर्थिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति दी है. नई एडवायजरी के आने के बाद देश के कई राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी शराब दुकानों को 4 मई से खोलने की अनुमति दे दी गई. आबकारी विभाग की ओर से जारी आदेश में दुकान खोलने-बंद करने के लिए तय मियाद के साथ-साथ शराब बिक्री की लिमिट भी तय की गई है. इसी आदेश के बिंदु चार में विभाग ने डिलीवरी बाॅय के जरिए शराब की सप्लाई किए जाने का आदेश दिया है. डिलीवरी बाॅय की नियुक्ति प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए होगी. शराब की डिलीवरी की दर के निर्धारण का जिम्मा मैनपावर एजेंसी से प्राप्त न्यूनतम दरों पर किया जाना तय किया गया है.

राज्य में शराब की होम डिलीवरी की नई नीति पर बीजेपी सरकार पर हमलावर होती दिख रही है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि-

इस फैसले से छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं बता दी है. सरकार की जल्दबाजी देखिए कि रविवार को ही आदेश जारी कर दिया गया. 8 बजे से 7 बजे तक दुकान खुली रहेगी. डिलीवरी बाॅय के रूप में लाइसेंसधारी कोचिए की नियुक्ति सरकार कर रही है. यह घोर आपत्तिजनक है. डिलीवरी बाॅय घर-घर जाकर शराब पहुंचाएंगे. घर पहुंच सुविधा होगी. छत्तीसगढ़ में अब शराब पीने लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा.  विक्रय ज्यादा से ज्यादा हो सके. इसलिए घर पहुंच सेवा शुरू हो गई है. इसे संशोधित करना चाहिए. डिलीवरी बाॅय के आदेश को वापस लेना चाहिए. इससे पहले सरकारी दुकानों में कई अनियमितताएं सामने आई है. डिलीवरी बाॅय के जरिए शराब बिक्री होगी, तो क्या यह एक नंबर पर बिक्री होगी या दो नंबर पर. जो सरकार कह रही थी कि शराब को बंद करेंगे, उसकी कथनी और करनी दिख रही है. यह कृत्य ठीक नहीं है. इस आदेश को वापस लेना चाहिए. बहुत सारे लोगों ने शराब पीना बंद कर दिया है. आदत छूट गई है. यदि वाकई सरकार चाहती है कि शराबबंदी हो, तो यह अच्छा अवसर होगा. इस अवसर पर सरकार अपना चुनावी घोषणा पत्र पूरा कर सकती है.

ब्रेवरेज कार्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष रह चुके देवजीभाई पटेल ने अपने आरोप में कहा है कि-

लाॅकडाउन के दौरान शराब की जमकर कालाबाजारी की गई है. इससे राज्य को मिलने वाले राजस्व में बड़ा नुकसान हुआ है. यदि सरकार कालाबाजारी के आरोप का खंडन करना चाहती है कि कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी और जनता कांग्रेस के विधायकों की एक कमेटी बनाकर क्लोजिंग और ओपनिंग स्टाॅक का मिलान करवा ले. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

इधर आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि-

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ दुकानों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आनलाइन डिलीवरी का फैसला लिया गया है. मोबाइल फोन, व्हाट्स एप के जरिए आर्डर लिया जाएगा और डिलीवरी बाॅय के जरिए आपूर्ति कराई जाएगी. कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव रोकने यह तय किया गया है. पिछले डेढ़ महीने से राज्य में शराब दुकान बंद रखा गया था. भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक 4 मई से सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक शराब दुकानों को खोलने का फैसला लिया गया है. कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए देसी शराब में प्रति बाॅटल 10 रूपए अतिरिक्त चार्ज भी लिया जाना तय हुआ है.

सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों का कहना है कि लाकडाउन की वजह से राज्य की आर्थिक हालत बुरी तरह चरमरा गई है. केंद्र सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग की गई है. सरकार अपने स्तर पर अपना राजस्व बढ़ाए जाने की अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही है. शराब बेचने की नई कवायद उसका एक हिस्सा मात्र है. आने वाले दिनों में राज्य सरकार कई बड़े फैसले ले सकती है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में राज्य में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद सरकार ने शराबबंदी के लिए एक कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में विपक्ष के विधायकों को भी शामिल किए जाने की पहल की गई, लेकिन कमेटी बने एक साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, लेकिन विपक्ष ने अपनी ओर से किसी विधायक का नाम सदस्य के रूप में आगे नहीं बढ़ाया