दिल्ली। चीन पूरी दुनिया में घटिया सामान बनाने के लिए बदनाम है। उसने दवाएं भी घटिया बनाई हैं। जिससे दुनियाभर के देशों में चीन के खिलाफ गुस्सा है। अब भारत दवाओं का नया हब बन सकता है।
चीन की दवाओंं से दुनियाभर के देशों का भरोसा कम हो रहा है। खास बात ये है कि दुनियाभर के देश भारतीय दवाओं पर खूब भरोसा कर रहे हैं। सरकार इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की फिराक में है। अब सरकार दुनिया को दवा आपूर्ति करने के लिए लंबे अरसे से बंद पड़ी फार्मा यूनिट्स को दोबारा शुरू करने की तैयारी में है। इन इकाइयों के लिए विशेष फंड बनाने के साथ कर्ज भुगतान में रियायत देने की भी योजना सरकार ने बनाई है।
दरअसल, अभी तक चीन दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक बना बैठा है। चीन दुनियाभर के बाजारों पर कब्जा जमाए बैठा है। दुनिया के 55 फीसदी बाजार पर चीन का कब्जा है। अब चीन की घटिया दवाओं से गुस्सा दुनिया के देश भारत की तरफ दवा आपूर्ति के लिए देख रहे हैं। भारत सरकार इस मौके का फायदा उठाकर अपना दबदबा बनाने की फिराक में है। अब
देश की सबसे पुरानी सरकारी दवा कंपनी हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड को पुनर्जीवित करने पर काम कर रही है। कंपनी ने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि अगर उसे अपग्रेड कर वित्तीय सहायता मिलती है तो वह देश में ऐसी दवाओं की जरूरत का पचास फीसदी अकेले बना सकती है।