रायगढ़- आमतौर पर जेल परिसर का ध्यान आते ही ड्यूटी पर तैनात बेहद चौकस और जिम्मेदार जेल प्रहरियों, जेल अधीक्षक की तस्वीर सामने उभर आती ह. हालांकि सातों दिन 24 घंटे निरंतर सेवा देने वाले जेल पहरियों और अधीक्षकों का दूसरा दुखद पहलू समाज के सामने कभी नहीं आ पाता. राज्य सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन राज्य पुलिस का हिस्सा जिसे हम जेल विभाग या परिवार के नाम से जानते हैंं. राज्य निर्माण के समय से ही उपेक्षा का दंश झेल रहा है. राज्य में नई कांग्रेस सरकार आने से जेल परिवार को पुलिस विभाग की तरह सुधार सुधार की अपेक्षा नजर आने लगी है.
जेल परिवार चाहता है कि भूपेश सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र के तहत पुलिस विभाग को जिस तरह की सुधार व सुविधाएं देने की पहल की है,उसी तरह जेल परिवार को भी सुधार व सुविधाएं दिया जाए. जेल परिवार के लोग अपने इस मांग को लेकर मुखर रूप से सामने आने लगे हैं. रायगढ़ जिला मुख्यालय में जेल परिवार के सदस्यों ने 7 जनवरी 2019 को राज्य के मुख्यमंत्री के नाम जेल प्रहरी एवं मुख्य पहरी को पुलिस विभाग के समान वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं प्रदान करने हेतु लिखित ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन पत्र में पुलिस परिवार ने यह मांग की है कि जेल प्रहरी एवं अधीक्षक पुलिस सेवा के लिए उपयुक्त मापदंड वाली शैक्षणिक व शारीरिक योग्यता रखते हैं,परंतु जेल में कार्यरत प्रहरी एवं मुख्य प्रहरी 24 घंटे सातों दिन गंभीर आपराधिक धारा में जेल में निरुद्ध दुर्दांत बंदियों के बीच विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए बंदियों की देखरेख व सुरक्षा करते हैं. राज्य में ऐसी कई घटनाएं घटी भी हैं जिनमें जेल प्रहरियो को जानलेवा हमले का सामना करना पड़ा है. जेल नियमावली के तहत जेल प्रहरियों को बिना अनुमति के जेल परिसर को छोड़ना मना है और किसी भी समय आवश्कता होने पर तत्काल ड्यूटी के लिए बुलाया जाता है. जेल में कार्यरत प्रहरियों को किसी प्रकार की साप्ताहिक अवकाश या शासकीय अवकाश नहीं मिल पाता है. ना ही इसके एवज में पुलिस के समान उन्हें वर्ष में एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाता है.
इतना ही नहीं जेल प्रहरी को मात्र 700 से ₹800 का आवास भत्ता दिया जाता है. इतने कम पैसे में राज्य के किसी भी जिले में आवास मिलना संभव नहीं है, जिसका सुधार किया जाना नितांत आवश्यक है, जेल प्रहरी को सिर्फ प्रहरी से मुख्य प्रहरी की एक ही पदोन्नति का अवसर प्राप्त होता है. यही नहीं बहुत कम वेतनमान पर जेल प्रहरी सेवा देते हैं.पूरी सेवाकाल में अपना आवास भी नहीं बना पाते हैं.पुलिसकर्मियों को उनके गृह जिले में पदस्थापना दी जाती है, जबकि जेल कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं मिलती है. ऐसी परिस्थितियों में जेल प्रहरी अपने माता पिता की सेवा या परिजनों के साथ समय नहीं बिता पाता, जिसके कारण वह गहरे मानसिक तनाव और दूसरी अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है. कम वेतनमान के कारण उन्हें अधिक आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है. इसे लेकर जेल विभाग के आला अधिकारी कभी कोई आवश्यक कदम उठाते नहीं दिखते हैं. अतः ज्ञापन पत्र के माध्यम से जेल परिवार के लोगों ने राज्य के नए मुख्यमंत्री से उनकी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सुधार कार्य हेतु तत्काल पहल करने की अपील की है.उन्होंने ज्ञापन पत्र में यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात पूर्व गृहमंत्री रामविचार नेताम के द्वारा कर्मचारियों को एक माह का वेतन देने के साथ ही वर्ग में भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति हेतु करने की घोषणा की थी, परंतु आज तक उस घोषणा का पालन नहीं हुआ, जो कि जेल प्रहरियों के साथ अन्याय है. अपनी मांगों के विषय में आगे लिखते हुए जेल परिवार ने राज्य के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि ज्ञापन पत्र मिलते ही वे जेल परिवािर की ओर से मांगी गई उपयुक्त सुविधाएं प्रदान करने की कृपा करें जिससे जेल परिवार मुख्यमंत्री का सदैव आभारी होगा .