कानपुर. यूपी के कानपुर आईआईटी के दलित असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम सडरेला के उत्पीड़न मामले में फंसे चार प्रोफेसरों पर रविवार को पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली. इस मामले में आईआईटी धनबाद के निदेशक डॉ. राजीव शेखर, डॉ. ईशान, डॉ. संजय मित्तल, डॉ. चंद्रशेखर उपाध्याय सहित एक अज्ञात शख्स के खिलाफ आईटी एक्ट, मानहानि व एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया है. प्रोफेसरों पर केस दर्ज होने के बाद बड़ी संख्या में छात्र और प्रोफेसर धरने पर बैठ गए. दलित प्रोफेसर उत्पीड़न मामले में बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के फैसले को लागू करने का काम भी शुरू हो गया है. इस मामले में दोषी पाए गए चारों प्रोफेसरों को इस मामले में कार्य विवरण की कॉपी देते हुए उनसे 27 नवंबर तक जवाब मांगा गया है.

नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट (एनसीएससी) ने आईआईटी के निदेशक प्रो. मणिंद्र अग्रवाल को अप्रैल में आदेश जारी कर कहा था कि वे चारों प्रोफेसरों को तत्काल सस्पेंड करें और उन पर एफआईआर दर्ज करवाएं. हालांकि कार्रवाई होने से पहले ही चारों प्रोफेसरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आयोग के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद रिटायर्ड जजों की कमेटी ने मामले की दोबारा जांच की है.

एयरोस्पेस विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके घोष के छात्र रहे डॉ. सडरेला को जनवरी में इसी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति मिली थी. इस पर प्रो. राजीव शेखर, प्रो. सीएस उपाध्याय, प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल सहित दस से ज्यादा प्रोफेसरों ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. निदेशक से नियुक्ति की निंदा की थी. इसके कुछ दिनों बाद प्रो. सडरेला ने प्रोफेसरों पर जातिगत टिप्पणी और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. निदेशक ने पहले इस मामले की जांच एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक की अध्यक्षता वाली समिति से कराई. इसमें ये चारों प्रोफेसर दोषी पाए गए. इसके बाद इंस्टीट्यूट की बीओजी ने जांच रिटायर्ड जजों की कमेटी को सौंप दी थी तब से यह कमेटी चारों प्रोफेसरों की जांच में जुटी थी.

मामले में रिटायर्ड जजों की कमेटी ने कई दिन तक जांच की थी. एयरोस्पेस विभाग के सभी प्रोफेसरों से पूछताछ की गई थी. बाद में डॉ. सडरेला और आरोपी बनाए गए चारों प्रोफेसरों को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की गई. बताया जाता है कि विभाग के ज्यादातर प्रोफेसर आरोपी बनाए गए चारों प्रोफेसरों के पक्ष में हैं. प्रोफेसरों ने इंस्टीट्यूट के एक बड़े अधिकारी और विभाग के एक प्रोफेसर पर जानबूझकर फंसाने का आरोप लगाया है.