रायपुर- छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में शुरूआती तौर पर तिब्बती शरणार्थियों द्वारा उगाई जाने वाली टाऊ की फसल यहां की आबो-हवा रास आने के कारण अब स्थानीय किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है. इस वर्ष मैनपाट क्षेत्र में लगभग पांच हजार हेक्टेयर में टाऊ की फसल उगाई जा रही है. टाऊ उत्पादक किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के आलू एवं फल अनुसंधान केन्द्र मैनपाट द्वारा स्थानीय जिला खनिज निधि के वित्तीय सहयोग से टाऊ प्रसंस्करण एवं विपणन इकाई की स्थापना की जा रही है.
जिला प्रशासन सरगुजा द्वारा टाऊ प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना हेतु 61 लाख रूपये की स्वीकृति देते हुए 30.50 लाख रूपये की राशि जारी कर दी गई है. इस प्रसंस्करण केन्द्र में टाऊ के आटे के साथ-साथ इस पर आधारित विभिन्न खाद्य पदार्थ जैसे चाय, हर्बल ड्रिंक तथा मेडिकेटेड गद्दे एवं तकियों का निर्माण किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा चार दशक पूर्व तिब्बती शरणार्थियों को सरगुजा जिले के मैनपाट में बसाया गया था. मैनपाट का वातावरण और जलवायु तिब्बत की ही तरह होने के कारण यहां बसने वाले तिब्बतियों ने तिब्बत में उगाई जाने वाली फसल टाऊ की खेती प्रायोगिक तौर पर शुरू की. टाऊ की खेती को यहां मिली सफलता के कारण धीरे-धीरे मैनपाट में टाऊ का रकबा बढ़ने लगा. टाऊ फसल के गुणों और उत्पादकता से प्रेरित होकर अब स्थानीय किसान भी टाऊ की खेती में रूचि लेने लगे हैं. आज मैनपाट और उसके आस-पास के इलाकों में लगभग पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टाऊ की फसल ली जा रही है. टाऊ की खेती बडी आसानी से की जा सकती है. खेत की जुताई के बाद थोड़ी सी खाद डालकर इसकी बोआई कर दी जाती है और बगैर सिंचाई के खेतों में व्याप्त नमी का उपयोग कर महज तीन माह के भीतर ही फसल पक कर तैयार हो जाती है. टाऊ की खासियत यह है कि इसमें किसी भी तरह के कीटों और रोगों का आक्रमण नहीं होता है और ना ही इसे मवेशी नुकसान पहुंचाते हैं. इस तरह टाऊ का उत्पादन सस्ता, सरल और लाभदायक होता है जिससे किसान इसकी खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं.
मैनपाट में टाऊ की पैदावार आठ से दस क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है. स्थानीय व्यापारियों द्वारा किसानों से टाऊ की खरीदी 3500 से 4000 रूपये प्रति क्विटल की दर से खरीदी की जाती है. इससे तैयार आटा दिल्ली एवं अन्य महानगरों में कुट्टू का आटा के नाम से 150 से 200 रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. यह आटा व्रत एवं उपवास के दौरान फलाहार के रूप में उपयोग किया जाता है. टाऊ को बक व्हीट के नाम से भी जाना जाता है. प्रोटीन, ऐमिनो ऐसिड्स, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर एवं एन्टी आॅक्सिडेन्ट प्रचुर मात्रा में होने के कारण टाऊ काफी पौष्टिक खाद्य माना जाता है. इसका प्रोटीन काफी सुपाच्य होता है और इसमें ग्लुटेन नहीं पाया जाता. इसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जिसकी वजह से अनेक बीमारियों से बचाव में यह उपयोगी है. यह हृदय रोग, डायबिटीज और कैन्सर जैसे खतरनाक रोगों से लडने में भी फयदेमंद है. इसके छिलकों का उपयोग मेडिकेटेड गद्दों और तकियों के निर्माण में होता है.
मैनपाट में टाऊ प्रसंस्करण की सुविधा उपलब्ध ना होने के कारण किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मैनपाट स्थित आलू एवं फल अनुसंधान केन्द्र द्वारा सरगुजा जिला प्रशासन को टाऊ प्रसंस्करण (पैकेजिंग एवं विपणन) केन्द्र की स्थापना का प्रस्ताव भेजा गया है. जिला प्रशासन ने उनके प्रस्ताव का अनुमोदन कर जिला खनिज निधि मद से टाऊ प्रसंस्करण संयंत्र हेतु 61 लाख रूपये स्वीकृत कर 50 प्रतिशत राशि 30.50 लाख रूपये जारी कर दिये हैं. संयंत्र के शेड निर्माण हेतु 25 लाख रूपये ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को जारी किये गये हैं.
इसके अलावा टाऊ उपार्जन के लिए रिवालविंग फण्ड हेतु लगभग 40 लाख रूपये जिला खनिज निधि से उपलब्ध कराए जाएंगें. मैनपाट में लगने वाले टाऊ प्रसंस्करण केन्द्र द्वारा स्व-सहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न उपार्जन केन्द्रों में किसानों से उचित मूल्य पर टाऊ का उपार्जन एवं संग्रहण किया जायेगा. उपार्जित फसल का प्रसंस्करण उच्च गुणवत्ता वाले आटोमेटिक टाऊ प्रसंस्करण संयंत्र के द्वारा किया जायेगा. प्रारंभिक चरण में प्रसंस्करण इकाई द्वारा लगभग दो हजार टन टाऊ से छिलका निकाल कर साबुत दाने एवं टाऊ के आटे का निर्माण और पैकेजिंग कर तैयार उत्पाद का अच्छी कीमत पर विपणन सुनिश्चित किया जायेगा. द्वितीय चरण में टाऊ से निर्मित चाय, हर्बल ड्रिंक आदि तैयार कर स्व-सहायता समूहों के माध्यम से इसके उत्पादन और विक्रय की व्यवस्था की जायेगी. इसके अलावा टाऊ के छिलकों से मेडिकेटेड तकियों और गद्दों का निर्माण भी किया जायेगा. इस प्रकार टाऊ के प्रसंस्करण से किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा और उनकी आमदनी में इजाफा होगा. उम्मीद है कि यह टाऊ प्रसंस्करण केन्द्र मैनपाट के किसानों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.