भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए राज्य के कॉलेजों में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल करने का फैसला किया है। अब छात्र बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल, गुजराती और पंजाबी जैसी भाषाओं में भी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। राजधानी भोपाल में विचार-विमर्श सत्र के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की मौजूदगी में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

READ MORE: जल संवर्धन के साथ उसका संरक्षण आज की आवश्यकताः सीएम डॉ मोहन बोले- अभियान में अधिक से अधिक हो जन-भागीदारी, 30 जून तक चलेगा अभियान

छात्रों को मिल सकेगा नई भाषाओं का ज्ञान

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस निर्णय को लेकर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि ‘भाषाएं जोड़ती हैं, तोड़ती नहीं। सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी हैं।’ परमार ने बताया कि मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय अब विभिन्न भारतीय भाषाओं की पढ़ाई का अवसर देंगे। इससे न केवल छात्रों की भाषाई जानकारी बढ़ेगी बल्कि राज्य को भाषाई विविधता का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।

शिक्षा में नई पहल

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लागू होने के बाद मध्य प्रदेश ने उच्च शिक्षा में बदलाव को सबसे पहले अपनाया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने एनईपी 2020 को लागू किया गया था।

READ MORE: Liquor shops Closed in MP: प्रदेश के इन 19 नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आज से नहीं मिलेगी शराब, CM डॉ मोहन यादव की घोषणा पर हुआ अमल 

क्या इस पहल को अपनाएंगे अन्य राज्य ?

मध्य प्रदेश के इस कदम से न केवल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह देश भर में बहुभाषी संस्कृति (Multilingual Culture) को भी बढ़ावा देगा। राज्य ने इसे सांस्कृतिक समृद्धि (Cultural Prosperity) के रूप में प्रस्तुत किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य राज्य भी इस पहल को अपनाएंगे, या फिर राजनीतिक कारणों से इस पर मतभेद बने रहेंगे। आने वाले समय में यह विषय और भी चर्चाओं का केंद्र बनेगा।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H