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दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान परियोजना को मंजूरी दे दी. जिसके तहत तीन सदस्यीय दल को कम से कम सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पांच महीने पहले परियोजना की घोषणा की थी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9,023 करोड़ की इस परियोजना को मंजूरी दे दी. उन्होंने कहा था कि यह परियोजना 2022 तक अमल में आएगी. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया, ‘इस मिशन के तहत पृथ्वी की निचली कक्षा में तीन सदस्यीय दल को कम से कम सात दिनों के लिए भेजा जाएगा.’
इस मिशन के पूरा होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा. यानी भारतीय वैज्ञानिक भी अब अंतरिक्ष में ‘स्पेस-वॉक’ कर सकेंगे. परियोजना को आधिकारिक मंजूरी भले ही शुक्रवार को मिली हो, लेकिन इस पर पिछले कुछ समय से काम चल रहा था. भारत ने मिशन में सहायता के लिए रूस और फ्रांस के साथ पहले ही समझौता कर रखा है.
एक सरकारी बयान के मुताबिक स्वीकृति की तारीख से 40 महीनों के अंदर पहली मानव चालित अंतरिक्ष उड़ान के प्रदर्शन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके पहले दो मानव रहित उड़ान भेजी जाएंगी जिससे प्रौद्योगिकी तथा मिशन प्रबंधन पहलुओं में विश्वास बढ़ाया जा सके. मानव चलित अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए अधिकांश जरूरी आधारभूत प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कर चुका है.
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘‘गगनयान कार्यक्रम के लिए कुल धन की आवश्यकता 10,000 करोड़ रुपए के भीतर है. इसमें प्रौद्योगिकी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढांचागत तत्व शामिल हैं. दो मानवरहित उड़ान तथा एक मानवचालित उड़ान गगनयान कार्यक्रम का हिस्सा होंगी.’’ इसमें कहा गया कि गगनयान कार्यक्रम इसरो तथा शिक्षा जगत, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिए व्यापक ढांचा तैयार करेगा. बयान के मुताबिक इससे रोजगार सृजन होगा और एडवांस टेक्नोलॉजी में मानव संसाधानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.