बिलासपुर। प्रदेश के सभी 11 संसदीय सचिव अपने कार्य और अधिकारों का इस्तेमाल करने के कम से कम 23 अगस्त तक नहीं कर पाएंगे जब तक कि अंतिम निर्णय न आ जाए.
हाईकोर्ट में अंतिम फैसले पर कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर के आवेदन पर हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है. केवल सदन के भीतर उनके अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करेगा.
दरअसल संसदीय सचिवों की नियुक्ति मुख्यमंत्री ने की थी. सरकार ने जब विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाई थी तब संसदीय सचिवों की सैलरी का अलग से स्लैब था. इसके अलावा स्वेच्छानुदान की पात्रता जो केवल मंत्रियों को होती है वो पात्रता भी केवल संसदीय सचिवों को हासिल है. इसके अलावा गाड़ी बंगला भी संसदीय सचिवों को मिला हुआ है. अब विधायक अंतिम निर्णय आने तक से सभी पात्रता खो देंगे.
याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर ने बताया इस मामले से पहले वे राज्यपाल को 11 आवेदन दे चुके हैं जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख अख्तियार किया है.