मुंबई. देशभर में अब लोकसभा चुनाव की बयार जोर पकड़ने लगी है और अजीत पवार के झटके से उबरने का प्रयास कर रहे राकां नेता शरद पवार अब पूरी तरह से एक्शन मोड में आ गए हैं. सूत्रों का ऐसा कहना है कि पवार अपने गढ़ (पुणे, शिरूर माढा) को बचाने के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल कर रहे हैं.
शिरूर में महायुति के संभावित उम्मीदवार पूर्व सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटिल के खिलाफ खेड के विधायक दिलीप मोहिते पाटील को खड़ा करने और माढा में भाजपा के असंतुष्ट के धैर्यशील मोहिते-पाटिल (अकलूज) व संजीवराजे नाईक-निंबालकर (फलटण) को अपने पाले में लाने के बाद अब शरद पवार ने बीड़ में भी सेंध लगा दी है. राकां नेता शरद पवार, शिवसेना, कांग्रेस और राकां को तोड़कर मजबूत बनी बीजेपी और उसकी सहयोगी दलों वाली महायुति के खिलाफ उन्हीं का शस्त्र इस्तेमाल कर रहे हैं. पवार बाहर से आए नेताओं के कारण उपेक्षित व नाराज बीजेपी नेताओं को पवार अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि माढा की तर्ज पर पवार ने बीड़ में बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे के करीबी बजरंग सोनावणे को तोड़ लिया है.
ज्योति मेटे भी चर्चा में
अपनी सहूलियत के हिसाब से लोगों का इस्तेमाल करना और बाद में गियों को छोड़ देने का आरोप बीजेपी पर लगता रहा है. बीजेपी पर ऐसा सहयोगियों ही आरोप शिवसंग्राम संस्था के लोग लगा रहे हैं. 2016 में बीजेपी कोटे से एमएलसी बने शिवसंग्राम संस्था के अध्यक्ष विनायक मेटे को बीजेपी ने जून 2022 में विधान परिषद चुनाव में नजरअंदाज कर दिया था. बाद में उसी साल अगस्त महीने में मेटे की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. इससे नाराज मेटे समर्थक अब दिवंगत मेटे की पत्नी ज्योति को पंकजा के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं और ज्योति, शरद पवार के संपर्क में है. पवार के खेले (बजरंग और ज्योति का समीकरण) से बीजेपी का गणित बिगड़ सकता है.