पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। देवभोग के पेय जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से स्कूली बच्चों के दांत पीले हो रहे थे. अब 6 करोड़ रुपए की लागत से फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं. इसके साथ ही स्कूली बच्चों को साफ पानी भी मिलना शुरू हो गया है.

सुपेबेड़ा में खराब पानी से किडनी की बीमारी के बीच 2018 में यह बात सामने आई थी ब्लॉक के कई गांव के पेयजल स्रोत भी खराब है. भाजपा सरकार के कार्यकाल में फरवरी 2018 में स्कूल के 72 स्रोतों की जांच की गई, जिसमें 40 सोर्स में फ्लोराइड व 15 में आयरन की मात्रा की अधिकता थी. लेकिन अब फ्लोराइड की अधिकता वाले उन 40 सोर्स पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट स्थापित कर दिया गया है.

पीएचई विभाग के ईई प्रमोद सिंह कतलम ने बताया कि लगभग 6 करोड लागत से जल जीवन मिशन योजना के तहत हमने फ्लोराइड की अधिकता वाले 40 सोर्स में रिमूवल प्लांट की स्थापना कर दी गई है. बिजली की समस्या को देखते हुए सोलर प्लांट लगाया गया है. 30 से ज्यादा जगहों पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट के जरिए स्कूली बच्चों को साफ पानी भी मिलना शुरू हो गया है. विभाग की जल जांच टीम ने अन्य सोर्स का भी सेम्पल लिया है. रिपोर्ट के आधार पर जरूरी स्थानों पर आयरन व फ्लोराइड रिमूवल प्लांट स्थापित करने शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा.

साफ पानी के लिए 50 माह का इंतजार

स्कूली व आंगनबाड़ी में भर्ती बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाली चिरायु दल ने 2018 में बताया था कि ब्लॉक के 2 हजार से भी ज्यादा स्कूली बच्चों के दांत पीले पड़ गए हैं. कुछ को हड्डी सम्बन्धी बीमारी भी हुई है. 2019 में जल ग्रहण मिशन योजना के तहत वर्तमान सरकार ने साफ पानी के लिए रिमूवल प्लांट के प्रपोजल को मंजूरी दे दी. विभाग के एसडीओ एसके भार्गव ने बताया कि कदलीमूडा, काण्डपारा, नागलदेही, माहूलकोट चिचिया, मगररोडा जैसे 30 स्कूलों के रिमूवल प्लांट की सुविधा माह भर पहले से शुरू हो गई है. अप्रैल के अंत तक बचे शेष प्लांट से भी पेय जल सुविधा शुरू हो जाएगी. जिनका काम अंतिम चरण में है.

5 से 7 गुना ज्यादा फ्लोराइड की मात्रा

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, प्रति लीटर पानी मे 1 से लेकर 1.5 मिली ग्राम फ्लोराइड स्वीकार्य है. बीएमओ अंजू सोनवानी ने कहा कि फ्लोराइड की अधिकता बीमारी का कारण बन सकता है. युवा व बड़े लोगों में प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होने के कारण इसका प्रभाव कम दिखेगा, लेकिन बच्चों पर इसका प्रभाव जल्द नजर आता है. दांत पीले होने के अलावा टेढ़े-मेढ़े हड्डी या हड्डी सम्बन्धी अन्य रोग का कारण फ्लोराइड बन सकता है. बीएमओ ने कहा कि कोरोना काल में स्कूल बन्द थी. अब नए सत्र आरम्भ होते ही चिरायु दल इससे प्रभावित बच्चों की लिस्ट भी तैयार करेगी. ताकि उन्हें चिकित्सा सुविधा दिया जा सके.

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सघन जांच व निदान की आवश्यकता

जनपद उपाध्यक्ष सूखचन्द बेसरा ने बताया कि उनके गांव व पड़ोसी नांगलदेहि ,धुपकोट व पीठपारा में न केवल स्कूली स्रोत बल्कि गांव के अन्य पेय जल स्रोतों में भी फ्लोराइड की अधिकता है।बेसरा ने दावा किया है कि जिस तरह 30 गांव के 40 से ज्यादा स्कूली पेय जल स्रोत जांच में प्रभावित पाया गया,उनसे जुड़े गांव के अन्य स्रोत जिसका पानी सभी लोग पीते है उसकि भी जांच कर समाधान निकालने सरकार के समक्ष मांग रखने की बात कह रहे हैं.

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