नई दिल्ली. दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में फैक्टरी लगाना चाहते हैं तो आपके के लिए लाइसेंस लेना मुश्किल होने जा रहा है. दिल्ली विकास प्राधिकरण और नगर निगम की ओर से फैक्टरी लाइसेंस लेने के लिए कन्वेयंस डीड (मालिकाना हक) को अनिवार्य करने जा रहा है. खासकर उन इलाकों में जहां प्लॉट का आवंटन डीडीए की ओर से किया गया है.

 दरअसल, डीडीए आने वाले दो महीनों में लीज होल्ड की सभी संपत्तियों को फ्री होल्ड में तब्दील करने जा रहा है. रिहायशी क्षेत्र में खुली ज्यादातर फैक्टरी के मालिकों के पास लाइसेंस नहीं हैं. फैक्टरी या इंडस्ट्री खोलने के लिए भी अलग-अलग दो तरह के प्लॉट होते हैं. इसमें एक लीज होल्ड जिसे डीडीए, डीएसआईआईडीसी या दिल्ली सरकार ने आवंटित किया है. दूसरा फ्री होल्ड, जिसका मालिक शख्स खुद होता है. नई प्रक्रिया के तहत किसी का अपना प्लॉट है, तो उसे लीज होल्ड की कॉपी के बदले मालिकाना हक की कॉपी लगानी होगी. बाकी प्रक्रिया और दस्तावेज उसी तरह के होंगे. रिहायशी क्षेत्र में फैक्टरी खोलने के नियम-कायदे अलग हैं.

तमाम दस्तावेज जमा करने के बाद लाइसेंस मिलेगा

  • डीडीए, डीएसआईडीसी या दिल्ली सरकार से प्लॉट आवंटन की मालिकाना हक की कॉपी लगेगी.
  • सेंक्शन बिल्डिंग प्लान और साइट प्लान आदि की जानकारी आदि भी देनी होंगी.
  • नोटरी से सत्यापित शपथपत्र, इंडस्ट्री के लिए रजिस्ट्रेशन की कॉपी भी चाहिए.
  • फायर एनओसी भी देनी होगी. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 30 दिन में लाइसेंस जारी होगा.