भोपाल. डाक्टरों की हैंड राइटिंग समझना बच्चों का खेल नहीं है. डाक्टर क्या लिखते हैं, वो या तो डाक्टर जानता है या फिर केमिस्ट या फिर भगवान. इन तीन के अलावा किसी के बस की बात नहीं है कि वो डाक्टरों का प्रिस्क्रिप्शन समझ सके. अब इस समस्या से निपटने को इंदौर के एक मेडिकल कालेज ने कदम लिया है.
इंदौर का एमजीएम मेडिकल कॉलेज अब भविष्य के डॉक्टरों की खराब हैंड राइटिंग सुधारने के लिए अलग से कक्षाएं लगाएगा. दरअसल इसके पीछे वजह ये है कि आयुष्मान योजना के क्लेम में यदि डाक्टरों की राइटिंग समझ में नहीं आई तो क्लेम निरस्त हो जाएगा. इसी डर की वजह से खराब राइटिंग के डॉक्टरों के किस्सों को पीछे छोड़ प्रिस्क्रिप्शन को साफ-सुथरा बनाने की कवायद जल्दी ही मेडिकल कॉलेज में शुरू होगी. शुरुआत में यह कक्षाएं मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए रहेंगी लेकिन जल्दी ही इन्हें फैकल्टी मेंबर्स के लिए भी शुरू कर दिया जाएगा.
दरअसल आयुष्मान भारत योजना के संबंध में मेडिकल कॉलेजों को भेजे एक पत्र ने सबकी नींद उड़ा दी है. इस योजना के अंतर्गत किए गए इलाज के खर्च का क्लेम लेने के लिए कॉलेज को प्रिस्क्रिप्शन और अन्य दस्तावेजों की कॉपी शासन को भेजना है. प्रिस्क्रिप्शन में लिखावट ऐसी होना चाहिए कि इसे आसानी से पढ़ा जा सके, ताकि पता चल सके कि मरीज का क्या इलाज किया गया. क्या जांचें हुईं और क्या दवाइयां दी गईं, ताकि इसका पैसा कॉलेज के खाते में जमा किया जा सके.
अब इस पत्र के बाद मेडिकल स्टूडेंट और फैकल्टी मेंबर्स की राइटिंग सुधारने की कवायद शुरू हो गई है. जल्द ही कई कॉलेजों में राइटिंग सुधारने के लिए विशेष कक्षाएं शुरू हो जाएंगी.
गौरतलब है कि अभी हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन डॉक्टरों की राइटिंग खराब होने पर उन पर 5-5 हजार रुपये की पेनाल्टी भी लगाई थी. वैसे मेडिकल कालेज के इस प्रयास के बाद लग रहा है कि डाक्टरों की गंदी हैंड राइटिंग अब शायद गुजरे जमाने की बात हो जाये औऱ आम लोगों को भी अब डाक्टरों की लिखावट समझ आ सकेगी.