रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर मंडल के दुर्ग स्टेशन से प्रारंभ होने वाली ट्रेनों की सफाई की स्तर में सुधार के लिए आधुनिक, ’स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट’ को दुर्ग में कोच रखरखाव डिपो में स्थापित किया जा रहा है. वर्तमान में कोच की बाहरी सतह मैन्युअल रूप से साफ की जा रही है. यह प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली है, और कोच बाहरी के सभी स्थानों तक पहुंचने के लिए बहुत सारे प्रयासों की आवश्यकता है. इन कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, दुर्ग डिपो के लिए 2.2 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर एक नया ’स्वचालित कोच वॉशिंग प्लांट’ खरीदा जा रहा है.
यह संयंत्र ट्रेन कोच के बाहरी हिस्से को अच्छी तरह से धो देगा. इसमे लगभग 7-8 किमी प्रति घंटे की धीमी रफ्तार से ट्रेन आगे बढ़ती है. 24 कोच की एक ट्रेन को कम से कम समय 8 मिनट में कोच वॉशिंग किया जा सकता है. उच्च दबाव वाले पानी जेट और क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर नायलॉन और कपास ब्रश का उपयोग करते हुए, प्रणाली में एक बहु स्तरीय सफाई तंत्र है. यह संयंत्र जल मृदुलीकरण और प्रदूषण उपचार संयंत्र के साथ आता है.
इस आधुनिक प्रणाली के मुख्य फायदों में से एक यह है कि यह बहुत कम पानी की आवश्यकता के साथ कोच सफाई की अत्यधिक श्रम गहन गतिविधि को स्वचालित करता है, क्योंकि यह केवल 20 प्रतिशत़ ताजा पानी का उपयोग करता है और शेष मात्रा में पानी का पुनर्नवीनीकरण किया जाता है. इसके अलावा, सिस्टम स्वचालित रूप से डिटर्जेंट और सफाई एजेंटों के उपयोग को अनुकूलित करता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक प्रभावी सफाई होती है. पारंपरिक मैनुअल सिस्टम की तुलना में ट्रेन कोच के बाहरी हिस्से की सफाई की गुणवत्ता कहीं बेहतर है. इस संयंत्र द्वारा दैनिक 6 से 7 ट्रेनों को साफ करने की उम्मीद है.
यह संयंत्र रेलवे की केंद्रीकृत मशीन खरीद एजेंसी, यानी कॉफ़मो (केंद्रीय कार्यशालाएं आधुनिकीकरण संगठन) के माध्यम से खरीदा जा रहा है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. संयंत्र की खरीद के लिए निविदा 17 अक्टूबर को पहले से ही खोली जा चुकी है. प्रस्तावित संयंत्र 2019 के मध्य तक चालू होने की उम्मीद है.