पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. इन दिनों प्रदेश में डेंगू का कहर लगातार जारी है. जिसके वजह से लोग दशहत में जी रहे है. इसका पायदा निजी अस्पताल उठा रहे है. दरअसल एक व्यक्ति महीने भर से इलाज करवा रहा था. ठीक नहीं हुआ तो राजधानी के निजी अस्पताल पहुंचा. जहां जांच में पता चला कि तुलाराम को डेंगू है. 75 हजार खर्च कर ठीक होकर वापस लौट गया, तब विभाग को पता चला कि विभाग ने तुलाराम के मोहल्ले भर के संदिग्ध मरीजो का ब्लड सैंपल लिया है. लेकिन डेंगू के किट नहीं होने से जांच नहीं हो सका है.
इलाके में डेंगू ने दस्तक दिया है इसकी जानकारी विभाग को दो दिन पहले पता चला गया था. जब दिवानमुडा निवासी 37 वर्षीय पीड़ित तुलाराम राजधानी से सकुशल वापस लौटा. दो दिन पहले लौटे तुलाराम के वापस आने की खबर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को लगी. कार्यकर्ता ब्लड जांच रिपोर्ट देख कर सकते में आ गए. रिपोर्ट में मलेरिया के साथ-साथ डेंगू होने की पुष्टि की गई थी.
पीड़ित ने बताया कि उसके उपचार में रायपुर के बालाजी अस्पताल ने करीब 50 हजार रुपए वसूल लिए. वहीं इसके पहले देवभोग के निजी अस्पतालों में 25 हजार रुपए लग गए. जबकि प्रशासन ने डेंगू पीड़ित का इलाज फ्री में करने की बात कहीं है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने भी प्राइवेट अस्पतालों को निर्देश देते हुए कहा था कि डेंगू पीड़ितों का सहयोग करे नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मामले में विभाग के बीएमओ डॉ सुनील भारती ने बताया कि आज 4 कार्यकर्ताओं को दिवानमुडा भेज कर तुलाराम के मोहल्ले में बीमार पड़े 32 लोगों का ब्लड सैंपल एकत्र किया गया है. जांच किट के लिये जिला अस्पताल को सूचना देकर मांग किया गया है. किट नहीं आया तो ब्लड जिला अस्पताल भेज दिया जाएगा.
बीएमओ भारती ने डेंगू के इस केस के बाद पूरे विकासखण्ड में स्वास्थ्य अमला को सक्रिय कर दिया है. बताया गया है बुखार के साथ साथ आंखों में जलन हो चेहरे में या शरीर के चमड़े में चकत्ते पड़ते दिखे तो तत्काल सूचना दे. साफ पानी का ठहराव किसी भी स्थिति में न हो इसके लिये लोगों को सम्पर्क कर जागरूक करने का निर्देश भी दिया गया है.