नई दिल्ली। उत्तराखंड की ढही हुई सुरंग के अंदर 17 दिनों से फंसे सभी 41 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया है. सिल्क्यारा से लेकर देहरादून, देहरादून से लेकर दिल्ली, दिल्ली से लेकर सुरंग में फंसे मजदूरों के देश के अलग-अलग प्रांतों में स्थित घरों तक उत्साह और उल्लास का माहौल है. दुरुह बचाव कार्य को अंजाम देने के बाद अब इस बात पर सरकार का ध्यान है कि सुरंग ढहने का कारण क्या था, और बचाव कार्य में इतना समय क्यों लगा.

12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा प्रवेश द्वार से लगभग 200 मीटर की दूरी पर ढह गया, जिससे अंदर काम कर रहे मजदूर फंस गए थे. 17 दिनों के बचाव अभियान के बाद बुधवार को 41 श्रमिकों को बाहर निकाला गया. मजदूरों तक पहुंचने के लिए अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन ‘ऑगर’ लगभग तीन-चौथाई मलबे के माध्यम से क्षैतिज रूप से ड्रिल करने में कामयाब रही.

लेकिन अंतिम चरण में मशीन के काम करना बंद कर देने से मैन्युअली ड्रिल करना पड़ा. इसके लिए तंग जगहों में खुदाई करने में माहिर रैट माइनर को बुलाया गया. इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस रैट माइनिंग को भारत में प्रतिबंधित किया जा चुका है, उसी रैट माइनिंग के जरिए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता मिली.

उत्तरकाशी से लगभग 30 किमी दूर स्थित, सिल्क्यारा सुरंग केंद्र सरकार की चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का एक अभिन्न अंग है, जो नाजुक हिमालयी इलाके में लगभग 889 किलोमीटर तक फैलेगी. सुरंग बनाने की परियोजना हैदराबाद स्थित नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा की जा रही है, जिसने पहले भी ऐसी परियोजनाओं को पूरा किया है.

श्रमिकों के सुरक्षित होने के साथ, अब ध्यान इस बात पर केंद्रित होगा कि पतन का कारण क्या था. यह घटना पहाड़ी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विकास के खतरों को भी उजागर करती है जो भूकंपीय और भूस्खलन की संभावना वाला है. बड़ी परियोजनाओं को पर्यावरणीय प्रभाव आकलन से गुजरना आवश्यक है, सिल्कयारा सुरंग को छूट दी गई थी क्योंकि इसे 100 किमी से छोटे खंडों में विभाजित किया गया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक विशेषज्ञ पैनल से जोखिम कम करने के विकल्प सुझाने को कहा.

समिति ने कई समस्याओं की पहचान की. इसके सदस्यों ने चेतावनी दी कि मिट्टी की प्रकृति, जिसमें कुछ हद तक कुचली हुई चट्टानें और चूना पत्थर शामिल हैं, उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ के मौजूदा खतरे को बढ़ा देगी. सिल्कयारा सुरंग की घटना ने समिति द्वारा बताई गई समस्याओं की ओर एक बार फिर सरकार का ध्यान खींचा है. सरकार ने कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पूरे भारत में वर्तमान में निर्माणाधीन 29 सुरंगों का ऑडिट करेगा.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “यह पहली बार है जब ऐसी दुर्घटना हुई है. इस घटना से हमने बहुत कुछ सीखा है. हम सुरंग का सुरक्षा ऑडिट करने जा रहे हैं, और यह भी अध्ययन करेंगे कि हम कैसे बेहतर तकनीक का उपयोग कर सकते हैं. हिमालयी क्षेत्र बहुत नाजुक है, और वहां काम करना बहुत कठिन है, लेकिन हमें समाधान ढूंढना होगा.