दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सफर के दौरान ट्रेन पर चढ़ते या उतरते समय हुई दुर्घटना में यात्री की मौत या घायल होने की स्थिति में रेलवे को मुआवजा देना होगा. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के हादसों में रेलवे मुआवजा देने से इनकार नहीं कर सकता. रेलवे अधिनियम, 1989 के मुताबिक रेल के सफर के दौरान अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश में या फिर नशे, पागलपन में खुद से किए गए आपराधिक कृत्य में मारा या घायल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में वह रेलवे प्रशासन से मुआवजा पाने का हकदार नहीं होगा. इस मामले में अलग-अलग हाई कोर्टों ने एक-दूसरे के विपरीत फैसले दिए हैं. इनमें से कुछ के मुताबिक ट्रेन से चढ़ते-उतरते वक्त होने वाले हादसे पीड़ित की अपनी लापरवाही के चलते होते हैं तो बाकी के मुताबिक सैद्धांतिक रूप से रेलवे ऐसे हादसों के लिए जिम्मेदार है. इसके चलते इस मुद्दे पर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन अब सर्वोच्च अदालत ने इस विवाद को खत्म कर दिया है. उसने किसी भी तरह के हादसे में पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए रेलवे को जिम्मेदार बताया है.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यात्री के पास टिकट न होने पर उसे मुआवजा देने से इनकार नहीं किया जा सकता है ।