राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की सुरक्षा अब टेरिटोरियल आर्मी के जिम्मे होगी. दिल्ली की भाजपा सरकार ने यमुना की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए टेरिटोरियल आर्मी से अनुरोध किया है कि वह नदी को डंपिंग, खनन, अतिक्रमण और चोरी से बचाए. इसका मुख्य उद्देश्य यमुना को उसके प्राकृतिक स्वरूप में बनाए रखना और सरकार के तीन वर्षों के भीतर नदी को साफ करने के लक्ष्य को हासिल करना है.
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दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा है कि जुर्माना लगाने के बजाय लोगों को जागरूक करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने गुरुवार को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार ने यमुना की सुरक्षा के लिए टेरिटोरियल आर्मी से सहायता मांगी है. उनका कहना है कि हमारा उद्देश्य जुर्माना नहीं लगाना, बल्कि लोगों को यह समझाना है कि उन्हें यमुना में कचरा क्यों नहीं डालना चाहिए और पानी की बचत क्यों करनी चाहिए.
यमुना नदी दिल्ली में भाजपा सरकार की प्राथमिकता का केंद्र बिंदु रही है. इस प्रस्ताव पर गहन विचार-विमर्श किया गया है, और जल्द ही टेरिटोरियल आर्मी से औपचारिक अनुरोध किए जाने की संभावना है. इसके अतिरिक्त, नदी की सुरक्षा के महत्व को समझाने के लिए शहर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
टेरिटोरियल आर्मी की ईकोलॉजिकल टास्क फोर्स यमुना नदी की सुरक्षा के लिए सक्षम है, और आगामी महीनों में उनकी तैनाती की संभावना है.
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस विषय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान में हमारे पास कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि टेरिटोरियल आर्मी की ईकोलॉजिकल टास्क फोर्स शाखा इस प्रकार के कार्यों के लिए समर्पित है और यमुना नदी की सुरक्षा में सक्षम है.
यमुना नदी में प्रदूषण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए यह कदम अत्यंत आवश्यक है. इसके पीछे मुख्य कारणों में अनुपचारित सीवेज का प्रवाह, औद्योगिक अपशिष्ट, कचरे का डंपिंग, अवैध रेत खनन, जल चोरी और भूमि अतिक्रमण शामिल हैं.
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने यमुना के बाढ़ के मैदानों की सफाई के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए टेरिटोरियल आर्मी की 94 सदस्यीय टीम को शामिल किया गया है कि साफ किए गए क्षेत्रों में कोई अतिक्रमण न हो.
दिल्ली में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव ने यमुना नदी की गंभीर स्थिति को सामने लाया है. कई प्रयासों और बड़े बजट के बावजूद, दिल्ली के भीतर बहने वाली नदी का 22 किलोमीटर लंबा क्षेत्र सीवेज नहर के समान प्रतीत होता है.
यमुना नदी के बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने ‘यमुना मास्टर प्लान’ तैयार किया है, जिसे शीघ्र ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. इस योजना का मुख्य उद्देश्य साबरमती रिवरफ्रंट परियोजना से मिली जानकारी का उपयोग करते हुए नदी के अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों को मिशन मोड में पुनर्जीवित करना है.
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