कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर में बीते दिनों मूसलाधार बारिश के बाद जलभराव और बाढ़ के हालात बने थे, एक पखवाड़ा बीतने के बाद यहां पानी तो उतर चुका है, लेकिन सियासत का पानी उबाल मार रहा है। शहरी क्षेत्र में खराब सड़क,नाला सफाई और इस दौरान हुई मौत को लेकर जमकर राजनीति देखने मिल रही है।

दरअसल, ग्वालियर जिले में बीती 11 और 12 सितंबर के साथ ही 17-18 सितंबर को मूसलाधार बारिश हुई थी जिसके चलते शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। इस दौरान कई लोगों की जान गई तो वहीं पुल पुलीया सड़क भी टूट गई। ऐसे में कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन पर निशाना साध रही है।

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कांग्रेस का आरोप है कि स्थानीय नेता मंत्रियों के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों की सांठगांठ ने शहर में बाढ़ और जल भराव जैसे हालात बनाए थे, जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते नदी नालों की सफाई नहीं की, यही वजह रही की बारिश के दौरान पानी की निकासी नहीं हो सकी और जगह-जगह जल भराव के कारण आम लोगों का बहुत नुकसान हुआ। वहीं शहर के बहोड़ापुर क्षेत्र में सीताराम साहू बुजुर्ग की मौत तक हो गई। ऐसे में कांग्रेस अब क्षेत्रीय विधायक मंत्री और नगर निगम के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर कार्रवाई की मांग कर रही है।

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का भी पलटवार सामने आया है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ नकारात्मक राजनीति करती है। भारी बारिश एक प्रकृति का प्रकोप है ऐसे हालातों में भारतीय जनता पार्टी का हर जनप्रतिनिधि जनता के बीच खड़ा नजर आया है। क्षेत्रीय विधायक से लेकर सांसद और मंत्रियों ने बारिश के दौरान बिगड़े हालातों का खुद मौका मुआयना किया है। क्षेत्रीय सांसद भारत सिंह कुशवाह ने ग्वालियर जिले के 2000 से अधिक ऐसे लोग जिनके घर बाढ़ और जलभराव के दौरान ढह गई। उनके लिए प्रदेश सरकार से विशेष आवास प्रोजेक्ट के तहत घर बनाने के अनुशंसा की है।

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गौरतलब है कि ग्वालियर में बीते 20 सालों के बाद ऐसी बारिश देखने मिली, जिसके चलते जिले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत के साथ ही हजारों लोग आवासविहीन हो गए। यही वजह है कि कांग्रेस ऐसे पीड़ित परिवारों के लिए राहत की मांग कर रही है,तो वहीं राज्य सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि इन्हें राहत राशि उपलब्ध कराने के साथ विशेष आवास प्रोजेक्ट के तहत घर देने का प्लान कर रहे हैं लिहाजा देखना होगा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी उबाल का जनता को कितना लाभ मिलता है।

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