दिल्ली. तीन तलाक का मुद्दा लंबे समय से देश के राजनीतिक माहौल को गर्माए हुए है. मोदी सरकार ने इसके दुरुपयोग को देखते हुए एक बिल भी लोकसभा में पेश करके पास करा लिया. अब सरकार राज्यसभा में भी इस बिल को पास कराने की पूरी कोशिशों में जुटी है. मुस्लिम महिलाएं जहां सरकार के इस कदम का समर्थन कर रही हैं वहीं मुस्लिम धर्मगुरु और धार्मिक संस्थाओं के निशाने पर सरकार का ये कदम है.
अब महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव औऱ तीन तलाक के बेजा इस्तेमाल को रोकने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड निकाहनामे में बदलाव की व्यापक तैयारी कर रहा है. बोर्ड ने तीन तलाक के बेजा इस्तेमाल को रोकने के लिए ये कदम उठाया है. अब बोर्ड एक ऐसा माडल निकाहनामा लाने जा रहा है जिसमें निकाह के दौरान ही तीन तलाक न देने की शर्त होगी. इसके लिए निकाहनामे में बकायदा अलग कालम बनाया जाएगा. अगर शादी के लिए दूल्हा इस शर्त पर दस्तखत करेगा तभी उसका निकाहनामा मंजूर होगा अन्यथा उसका निकाह मंजूर नहीं किया जाएगा.
इसके लिए बकायदा दूल्हे के दस्तखत कराए जाएंगे. एक बार इस पर दस्तखत करने के बाद कोई भी मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक नहीं दे पाएगा. अगर वो ऐसा करता भी है तो उसका तलाक मान्य नहीं होगा. मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का मानना है कि वह तीन तलाक के सख्त खिलाफ है लेकिन कई बार ऐशी परिस्थितियां बन जाती हैं जिनमें सिर्फ तलाक ही एक विकल्प बचता है. बेहद जरूरी औऱ अपरिहार्य स्थितियों में ही तीन तलाक को मान्यता दी जाती है लेकिन हाल में बेहद मामूली बातों पर तीन तलाक के प्राविधान का जिस तरह से बेजा इस्तेमाल शुरु हुआ उससे सरकार से लेकर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड तक को सख्त रुख अख्तियार करना पड़ा. वैसे पर्सनल ला बोर्ड के इस कदम से माना जा रहा है कि तीन तलाक के बेजा इस्तेमाल पर काफी हद तक अंकुश लगेगा.