Nozzle Spray Corona Vaccine: चीन में कोरोना की तेज रफ्तार के बीच केंद्र सरकार ने दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाने को मंजूरी दे दी है. हैदराबाद की फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने इसे तैयार किया है। कंपनी का दावा है कि नेजल वैक्सीन इंकोवैक लेने के बाद संक्रमण की संभावना नहीं है.

 बुखार, सिर दर्द, नाक बहना, छींक आना टीके के प्रमुख साइड इफेक्ट हैं. कंपनी का कहना है कि जिन लोगों को पहले किसी भी तरह के टीका लगने पर स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ महसूस हुई है वो इसकी खुराक लेने से पहले डॉक्टर से बात करें.

आठ बूंद से बनेगा सुरक्षा कवच (Nozzle Spray Corona Vaccine)

बूस्टर डोज के तौर पर नेजल वैक्सीन की आठ बूंद एक व्यक्ति को नाक से दी जाएगी. परीक्षण में शामिल लोगों को चार सप्ताह के अंतराल पर टीके की दोनों खुराक दी गई थी. इसमें देखा गया, इनमें वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता थी.

लोगों पर हुआ परीक्षण

केंद्र सरकार के अनुसार, नेजल वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में असर-सुरक्षा को जानने के लिए देशभर में 14 स्थानों पर 3100 लोगों पर शोध हुआ. प्रारंभिक परीक्षण में नेजल वैक्सीन असरदार रही. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक दिसंबर को घोषणा की थी कि नेजल वैक्सीन आपात स्थिति में 18 या उससे अधिक उम्र के वयस्कों को दी जाएगी.

Nozzle Spray Corona Vaccine चार बड़े फायदे

  • नेजल वैक्सीन में सीरिंज तो होगी, लेकिन इसमें सुई नहीं होगी.
  •  कोरोना के इस टीके को देने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण नहीं देना होगा.
  •  बच्चे, बुजुर्ग और वयस्कों को आसानी से इस टीके की खुराक कहीं भी लग सकती है.
  •  सुई का इस्तेमाल न होने से किसी अन्य तरह के संक्रमण की गुंजाइश न के बराबर है.

इन देशों में नेजल टीके पर काम

कोरोना की काट की कोशिश में अमेरिका भी नेजल वैक्सीन पर काम कर रहा है. कनाडा और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों की टीम भी नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही है. चीन ने 11 सितंबर को पहले नेजल वैक्सीन के परीक्षण को मंजूरी दी थी.

नेजल वैक्सीन दूसरों टीकों की तरह इंजेक्शन के जरिए नहीं दी जाएगी. टीका सीधे नाक से लगेगा तो ये श्वसन नलिका से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी.