रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एनआरसी फॉर्म नहीं भरने के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ नागरिकता नहीं दे सकता. यह केंद्र का मसला है. इसमें वो काहे कूद रहे हैं भाई. सीएए और एनआरसी को लेकर जो विरोध है, वह ममता बनर्जी और बाकी लोगों का प्रायोजित आयोजन है. वहीं केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि देश के फेडरल स्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी बात रखनी चाहिए.

भाजपा द्वारा देश के सभी जिलों में CAA को लेकर आयोजित की जा रही प्रेस वार्ता के तहत रायपुर में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ मीडिया को संबोधित किया. गंगवार ने कहा कि आजादी के तत्काल बाद जो काम हो जाना था, उसे तत्कालीन सरकार नहीं कर पाई. यह कानून (CAA) नागरिकता देने का है, लेने का नही. कुछ लोग महज स्वार्थ के लिए इसे राजनैतिक मुद्दा बना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि दुनिया के जिस किसी भी हिस्से में हिन्दू समाज प्रताड़ित हुआ है तो उसे संरक्षण हिंदुस्तान ही देता आया है. अगर गैर मुस्लिम आबादी पाकिस्तान में घट रही है, को उन्हें यदि यहां संरक्षण नहीं दिया जाएगा तो कहाँ मिलेगा?

उन्होंने कहा कि हम महसूस करते हैं कि बहुत ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है. इत्तेफाक से मैं यूपी के बरेली से हूँ, जिसे इस्लामिक आइडियोलॉजी का गढ़ माना जाता है. बरेली से सीएए को लेकर किसी तरह का विरोध सामने नहीं आया. मुस्लिम समाज ने एक ज्ञापन जरूर सौंपा था. हमने उन्हें समझाया. इसके बाद उन्होंने इस एक्ट को एप्रीसिएशट किया. कुछ विश्वविद्यालय से संशोधित कानून को लेकर विरोध शुरू किया गया, इसमें से भी 4 विश्वविद्यालय से विरोध की आवाज उठाई गई.

डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि CAA को लेकर लोगों के बीच जाकर गलतफहमी दूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1950 में हुए नेहरू-लियाकत अली समझौते में यह स्पष्ट था कि दोनों देशों के अल्पसंख्यकों का सरकार ध्यान रखेगी. इस समझौते के बाद ही पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक रुक गए. उसके बाद ही प्रताड़ना का दौर शुरू हुआ.

डॉ. सिंह ने कहा कि 1947 में भारत में अंबेडकर कानून मंत्री थे. ठीक उस वक़्त पाकिस्तान में योगेंद्र मंडल कानून मंत्री बने थे. पाकिस्तान में जिन्ना के बाद दूसरे नम्बर का पद दिया गया. लेकिन 1950 में लियाकत अली- नेहरू समझौते के बाद मंडल ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले प्रताड़ना को लेकर आवाज उठाया. उन्हें पद छोड़ना पड़ा और बंगाल के एक शरणार्थी शिविर में उनकी मौत हो गई. 30 नवम्बर 1947 में हुई कांग्रेस समिति की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि गैर मुस्लिम के लिए देश के दरवाजे खुले रहेंगे. उस बैठक में महात्मा गांधी थे, नेहरू थे. सरदार पटेल थे. क्या अब कांग्रेस अपने ही नेताओं की बात खारिज कर रही है.

उन्होंने CAA का जिक्र करते हुए कहा कि यह नागरिकता देने का अधिकार है. किसी की छिनने का नहीं. नये कानून में पहले 11 साल की अवधि तय थी, इसे घटाकर 6 साल कर दिया गया है. देश में अब तक बने कानून में यह ऐसा कानून है, जो सम्मान देता है. छत्तीसगढ़ में भी हजारों लोग हैं, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश से आये हैं. ये उच्च वर्ग के लोग नहीं है. लाखों की संख्या में ये है. बीजेपी अलग-अलग समाज के साथ भी बैठक कर सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट को लेकर चर्चा कर रही है.