देश की अर्थव्यवस्था को जिस अदृश्य ताकत से संजीवनी मिल रही है, वह कहीं बाहर है… शायद अमेरिका में, शायद ब्रिटेन में, या फिर सिंगापुर में. प्रवासी भारतीयों ने वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 11.60 लाख करोड़ रुपये भारत भेजे हैं. यह आंकड़ा न केवल पिछले साल की तुलना में 14% अधिक है, बल्कि पिछले आठ वर्षों में दोगुनी से भी ज्यादा वृद्धि दर्शाता है.
यह राशि देश के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. लेकिन सवाल यह है — आखिर ये धनवर्षा क्यों हो रही है?
Also Read This: प्रकृति की मार से थर्रा उठा हिमाचल प्रदेश; कंगना के लोकसभा क्षेत्र मंडी में 4 जगह बादल फटने से तबाही ही तबाही, ब्यास नदी उफान पर, शिमला में लैंडस्लाइड का कहर, स्कूल-कॉलेज बंद

कौन हैं ये लोग जो विदेश से बदल रहे हैं भारत की तक़दीर?
RBI के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत लगातार दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है. प्रवासी भारतीयों ने भारत को 135.46 बिलियन डॉलर (करीब 11.60 लाख करोड़ रुपये) भेजे हैं, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है.
आठ साल में रेमिटेंस कैसे हुआ दोगुना?
- वित्त वर्ष 2016-17: $61 बिलियन
- वित्त वर्ष 2024-25: $135.46 बिलियन
यानि आठ सालों में 122% की वृद्धि.
Also Read This: iPhone 16 पर धमाकेदार छूट: Amazon या Flipkart? किसकी डील है सबसे बेस्ट
अब खाड़ी नहीं, अमेरिका बन रहा है भारत का नया ATM
जहां पहले सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे खाड़ी देश रेमिटेंस के सबसे बड़े स्रोत हुआ करते थे, अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है.
RBI की रिपोर्ट के अनुसार:
- अमेरिका, यूके और सिंगापुर से आता है रेमिटेंस का 45% हिस्सा
- वजह: इन देशों में स्किल्ड इंडियन प्रोफेशनल्स की बढ़ती मांग
विशेषज्ञों का कहना है: “कम तेल-निर्भर देशों में कार्यरत भारतीयों की संख्या में तेज़ी आ रही है. रेमिटेंस में उछाल इसी बदलाव का नतीजा है.” – गौरा सेनगुप्ता, चीफ इकोनॉमिस्ट, IDFC फर्स्ट बैंक
Also Read This: PM मोदी 5 देशों की विदेश यात्रा पर कल से, लेकिन चर्चा में आ गई ये कुर्सी, जिस पर लिखा है INDIA का नाम, आखिर क्या है इसका राज?
कौन हैं ये स्किल्ड प्रोफेशनल्स?
- अमेरिका में भारतीयों की संख्या: लगभग 45 लाख
- इनमें से 43% के पास है ग्रेजुएट डिग्री
- यह अनुपात अमेरिकी नागरिकों की तुलना में तीन गुना अधिक
- सेक्टर: आईटी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, रिसर्च
अब ब्लू-कॉलर वर्कर्स की जगह व्हाइट-कॉलर क्लास भारत को रेमिटेंस भेज रही है.
Also Read This: BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तेजस्वी यादव को मौलाना बताकर साधा निशाना, कहा- ‘PM मोदी जाएंगे बिहार, शरिया समर्थक पाकिस्तान जा सकते हैं..’
रेमिटेंस का असर: भारत को हर साल अरबों की सांसें
FY2024-25 में भारत का माल व्यापार घाटा रहा 287 बिलियन डॉलर. इसमें से लगभग 47% हिस्सा रेमिटेंस ने कवर किया.
यानि यह पैसा सिर्फ घर चलाने में नहीं, देश की अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने में भी मददगार है.
Also Read This: ट्रंप-मस्क में ऐलान-ए-जंगः Elon Musk ने ‘खुली चुनौती’ दी तो आगबबूला हुए अमेरिकी राष्ट्रपति, कहा- ‘तुम्हारी दुकान बंद करनी पड़ेगी…,’
ये राज्य बन चुके हैं ‘रेमिटेंस सुपरपावर’
सबसे ज़्यादा लाभ पाने वाले राज्य:
- केरल (राज्य के NSDP का 36.3% रेमिटेंस से आता है)
- पंजाब
- उत्तर प्रदेश
- आंध्र प्रदेश
- तमिलनाडु
इन पैसों से बनते हैं मकान, होती है बच्चों की पढ़ाई, और शुरू होते हैं छोटे उद्योग.
रेमिटेंस आखिर होता क्या है?
जब कोई प्रवासी अपने देश में पैसा भेजता है, तो उसे Remittance (रेमिटेंस) कहा जाता है. यह देश के लिए विदेशी मुद्रा का एक अहम स्रोत होता है और भारत में यह आय का एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है.
Also Read This: इस जुलाई बैंकिंग सिस्टम रहेगा सुस्त! लगातार 3-3 दिन बैंक बंद, 13 दिनों तक बढ़ेगी परेशानी
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें