रायपुर/बिलासपुर– भोरमदेव वन्यप्राणी अभयारण्य को टाईगर रिजर्व घोषित करने के लिए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के संबंध में आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश पीपी साहू की पीठ के समक्ष राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने जवाब देकर बताया कि भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य, कान्हा नेशनल पार्क से बिल्कुल लगा हुआ है. भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण्य से बाघों के महाराष्ट्र के नवेगांव-नागझीरा टाईगर रिजर्व और वहां से तडोबा-अंधेरी टाईगर रिजर्व और इन्द्रावती टाईगर रिजर्व जाने-आने का कारीडोर है. अतः भोरमदेव “पेच-कान्हा अचानकमार भूमिक्षेत्र” का आवश्यक अंग है.
NTCA ने भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य की महत्ता को देखते हुए 28 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के मुख्य वन्यजीव सरंक्षक (CWLW) को भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण्य को टाईगर रिजर्व घोषित करने हेतु अधिसूचित करने हेतु पत्र लिखा था. NTCA ने बताया कि याचिकाकत्र्ता ने एक पत्र अभयारण्य को टाईगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया है, जिसके जवाब में NTCA ने 7 जून 2018 को छत्तीसगढ़ के मुख्य वन्यजीव संरक्षक (CWLW) को सभी आवश्यक कार्यवाहियां करते हुये तत्काल ही भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण्य को टाईगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव भेजने के लिये पत्र लिखा था, परंतु उनके पत्र का कोई जवाब छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा नहीं दिया गया है. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जवाब देने के लिये 3 सप्ताह का समय मांगा गया है.
यह पूछे जाने पर कि टाईगर रिजर्व बनाने से ग्रामीण एवं रहवासी आदिवासियों को क्या फायदें होगे याचिकाकत्र्ता सिंघवी ने बताया कि टाईगर रिजर्व बनाने से बाघों सहित अन्य वन्यजीवों एवं वनों के सरंक्षण के अलावा विस्थापित किये जाने वाले ग्रामीणों को 5 एकड़ कृषि भूमि, 50 हजार नगद इन्सेन्टिव, 1 मकान, आधारभूत सुविधाऐं जैसे मार्ग, शाला, बिजली-सिंचाई साधन, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, सामुदायिक भवन आदि प्रदान की जाती है. शासन, जंगल के प्रत्येक गांव मंे यह सुविधा नहीं पहुंचा पाता है अतः विस्थापन बाद ग्रामीणों का जीवन स्तर बहुत उठ जाता है तथा उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करते है. अगर ग्रामीण यह पैकेज नहीं चाहता हो तो उसे रूपये 10 लाख विस्थापन का मुआवजा दिया जाता है.