नई दिल्ली। इंडियन नेवी की ताकत में इजाफा हुआ है। भारतीय नौसेना के बेड़े में अब न्यूक्लियर सबमरीन ‘INS अरिघात’ को शामिल किया है। न्यूक्लियर सबमरीन ‘INS अरिघात’ को गुरुवार को इंडियन नेवी में शामिल किया। अब ‘INS अरिघात’ स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का हिस्सा बन गई। देश की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन को विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में बनाया गया है।

संस्कृत में अरिघात का अर्थ-‘दुश्मनों का संहार करने वाला होता है। INS अरिघात समुद्र से 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली K-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) से लैस है। इतना ही नहीं इंडियन नेवी इस सबमरीन को 4000 किलोमीटर तक मार करने वाली K-4 मिसाइल से भी लैस करेगी। इसके शामिल होने के बाद भारत के पास 2 SSBN न्यूक्लियर सबमरीन हो गई है।

INS अरिघात सबमरीन की विशेषताएं

इस न्यूक्लियर सबमरीन का वजन करीब 6000 टन है। INS अरिघात की लंबाई 111.6 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है। इसकी गहराई 9.5 मीटर है। समुद्र की सतह पर इसकी रफ्तार 12 से 15 समुद्री मील (यानी 22 से 28 किलोमीटर) प्रति घंटा है।
इस पर K-15 और BO-5 शॉर्ट रेंज की 24 मिसाइलें तैनात हैं। ये सबमरीन 700 किलोमीटर तक टारगेट को हिट कर सकती है।

‘अरिघात’ स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड का हिस्सा बनेगी. स्ट्रेटेजिक फोर्स से जुड़े होने के कारण इस न्यूक्लियर सबमरीन की कमीशनिंग के बारे में ऑफिशियल इंफॉर्मेशन शेयर नहीं की गई है। भारत इसी के साथ अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के अलावा दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन गया है।