कुमार इंदर, जबलपुर। 3 साल के लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर आखिरकार बीएससी नर्सिंग की परीक्षा आयोजित हो रही है। हाईकोर्ट ने प्रदेश के करीब 45 हजार नर्सिंग छात्रों के पक्ष में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने अंतरीम आदेश में कहा है कि प्रदेश के सभी डिफिशियंट और अपात्र कॉलेज के छात्र भी दे परीक्षा दे सकेंगे। हाईकोर्ट के अंतिम फैसले के बाद अब प्रदेश के करीब 30 से ज्यादा नर्सिंग के छात्र-छात्राएं परीक्षा में बैठ रहे हैं। बता दें कि नर्सिंग कॉलेज में फर्जीवाड़े के चलते प्रदेश में 3 साल से नर्सिंग की परीक्षाएं नहीं हो पा रही थी। जिसके चलते प्रदेश के हजारों छात्र कई बार आंदोलन कर चुके हैं। आज 3 साल बाद शुरू हुई परीक्षा में अभी 2020-21 के सत्र की परीक्षा हो रही है। वहीं 2022 और 2023 के सत्र के परीक्षाएं होना अभी बाकी है जो हाईकोर्ट के आदेश के बाद होगी।

अभी भी लटके है खतरे के बादल

3 साल के बाद हो रही बीएससी नर्सिंग की परीक्षाओं पर अभी भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जो कॉलेज डिफिशिएंट और अनसूटेबल घोषित किए गए थे क्या उनके छात्रों के रिजल्ट समय पर जारी होंगे या फिर उन छात्रों के रिजल्ट हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रखे जाएंगे।

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रिजल्ट को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया

हाईकोर्ट ने डिफिशिएंट और अनसूटेबल कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति तो दे दी है लेकिन इनके रिजल्ट को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि उनके रिजल्ट हाईकोर्ट के आदेश के अधीन रहेंगे। सवाल यह भी उठ रहा है कि रिजल्ट यदि जारी भी कर दिया जाता है तो क्या इनके मार्कशीट पर डिफिशिएंट और अनसूटेबल कॉलेज के नाम अंकित रहेंगे और रहेंगे तो ऐसे में छात्रों के भविष्य पर इसका क्या असर पड़ेगा।

50 हजार से ज्यादा छात्रों को परीक्षा का इंतजार

लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर भले ही बीएससी नर्सिंग की परीक्षा आयोजित की जाने लगी है। लेकिन अभी भी 50000 से ज्यादा ऐसे बीएससी नर्सिंग के छात्र हैं, जिनको परीक्षा का इंतजार है। साल 2022 और 2023 के परीक्षा को लेकर अभी कोई भी निर्णय नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि उनके पेपर भी हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ही किए जाएंगे।

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CBI जांच में फंसे है सैकड़ों नर्सिंग कॉलेज

बता दें कि प्रदेश के 500 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के फांस में फंसे है। जिसके चलते साल 2020-21 से परीक्षा नहीं हो पा रही थी, जिसके चलते हज़ारों छात्र परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं। नर्सिंग काउंसिल द्वारा वर्ष 2020 में खोले गए 670 कॉलेज में से करीब 500 कॉलेज सीबीआई जांच के दायरे में हैं। पिछले दिनों मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट यूनियन की ओर से दायर याचिका पर हुई सुनवाई के बाद सीबीआई जांच के बाद 308 नर्सिंग कॉलेज की लिस्ट कोर्ट में पेश की गई थी। जारी सूची में सीबीआई जांच में 169 कॉलेज सही पाए गए है जबकि सीबीआई ने 74 नर्सिंग कालेजों में कई सारी कमियां बताई है। वहीं सीबीआई ने 65 नर्सिंग कॉलेजों को पुरी तरह से गलत पाया है।

371 कॉलेज की सीबीआई जांच बाकी

मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में जारी नर्सिंग कॉलेज में ऐसे 371 कॉलेज अभी भी बाकी है। जिनकी सीबीआई जांच होना बाकी है। वहीं 56 कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर रखा हुआ है। हालांकि, हाईकोर्ट ने इन 56 कॉलेज के छात्रों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है।

परीक्षाएं तो हो रही एक्शन होना बाकी

कोर्ट के आदेश के बाद बीएससी नर्सिंग की परीक्षाएं तो आयोजित होने लगी है और उम्मीद जताई जा रही की आने वाले समय में सत्र 2022 और 23 की भी परीक्षा आयोजित की जाएगी। लेकिन सवाल अभी भी उठ रहा है कि जिन कॉलेजों को सीबीआई जांच में अनसूटेबल और अयोग्य पाया गया उनको लेकर एक्शन कब तक होगा। क्योंकि फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले में 308 कॉलेजों की सीबीआई जांच भी हो चुकी है। जिनकी रिपोर्ट भी आ गई। अभी 371 कॉलेजों की सीबीआई जांच होना बाकी है तो 56 कॉलेजों ने सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर रखा है।

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सरकार ने अपात्र कॉलेजों को बचाने नियम किए शिथिल

जानकारों का मानना है की सरकार ने फर्जीवाड़े में फंसे नर्सिंग कॉलेज को बचाने के लिए अपने नियम शिथिल कर दिए हैं। नए नियम के अनुसार नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए अब 24000 स्क्वायर फीट जमीन की जगह अब 8000 स्क्वायर फीट में ही कॉलेज खोले जा सकेंगे। जानकारों का मानना है की सरकार के इस कदम से लगभग सभी कॉलेज जांच के दायरे से बाहर हो जाएंगे। नियम अनुसार नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 24 हज़ार स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत होती है जबकि प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे है जो एक दो कमरे में संचालित हो रहे थे जबकि कई कॉलेज कागजों पर ही संचालित हो रहे थे।

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