51 साल के मोहम्मद नूरुद्दीन के हौंसले को सलाम करना होगा कि उन्होंने इस उम्र में भी पढ़ाई का महत्व समझा और 32 बार परीक्षा में फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और 33 वीं बार भी 10 वीं की परीक्षा देने की ठानी. लेकिन खुशी की बात ये है कि इस बार वे पास हो गए.

 दरअसल उनकी इस खुशी के पीछे की वजह कोरोना महामारी है.  क्योंकि महामारी के चलते तेलंगाना सरकार ने परीक्षा लिए बिना ही सभी विद्यार्थियों को पास करा दिया है. मुशीराबाद इलाके में अंजुमन बॉयज हाई स्कूल के छात्र नूरुद्दीन सन 1987 में पहली बार माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र (SSC) परीक्षा में शामिल हुए थे. अन्य सभी विषयों में पास होने के बावजूद वह अंग्रेजी में सफल नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में उन्हें कोई ट्यूशन भी नहीं मिल पाई जिसकी वजह से वह इस विषय में कमजोर ही रह गए.

https://youtu.be/9IBV6Klq3eQ

विभिन्न मीडिया रिपोर्टस में नूरुद्दीन के हवाला ले ये दावा किया गया है कि ‘चूंकि मैंने उर्दू माध्यम में अपनी पढ़ाई की है, इसलिए अंग्रेजी मेरी सबसे बड़ी कमजोरी रही है. हर साल मैंने परीक्षा में लिखा लेकिन इस विषय में पास होने के लिए 35 अंक (100 में से) हासिल न कर सका. हर बार मैं कम अंकों से चूक जाता था जैसे कि मुझे या तो 32 मिलते थे या 33 लेकिन मैंने हार न मानने का फैसला लिया.’ उन्होंने कहा कि सिक्यॉरिटी गार्ड की नौकरी के लिए भी 10वीं पास की क्वॉलिफिकेशन मांगी जाती थी, जिसकी वजह से मैं हर साल एग्जाम देता था. उन्होंने कहा कि तकदीर से मुझे मार्कशीट के बगैर ही गार्ड की नौकरी मिल गई और आज मेरी सैलरी 7,000 रुपये है.

https://youtu.be/UzlbGA97djU?t=3

यह साल भी उनके लिए कठिन रहा क्योंकि एक नियमित उम्मीदवार के रूप में वह परीक्षा में बैठने के लिए आखिरी समय तक फीस चुकाने में असमर्थ रहे और उन्हें खुली श्रेणी में आवेदन करना पड़ा. इस बार उन्होंने फिर से 6 विषयों के पेपर दिए. 4 बच्चों के पिता नूरुद्दी न ने कहा, ‘मैंने कड़ी मेहनत की. अंग्रेजी माध्यम से बी.कॉम करने वाली मेरी बेटी ने मेरी मदद की.’ हालांकि  कोविड के चलते इस बार परीक्षाएं नहीं ली जा सकीं और सरकार ने सभी उम्मीदवारों को पास कराने का फैसला लिया. नूरुद्दीन खुश हैं कि आखिरकार उन्होंने SSC की परीक्षा पास कर ली और वह आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं.

उनका ये हौंसला हम सब को ये सिख देता है कि हमें हार के बाद भी प्रयास करने से पीछे नहीं हटना चाहिए.