नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय JNU में सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज द्वारा एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया. यह ऑनलाइन वेबिनार कश्मीर को लेकर था. इसमें जम्मू और कश्मीर को ‘भारतीय कब्जे वाला कश्मीर’ के रूप में संबोधित किया जा रहा था. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, ऐसे कई आपत्तिजनक तथ्यों की जानकारी सामने आने के बाद प्रशासन ने तुरंत यह वेबिनार को रुकवाने और रद्द करने का निर्देश दिया.
5 राज्यों में विधानसभा चुनाव, दिल्ली सीएम केजरीवाल को भगवान राम के नाम का सहारा
जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार ने बताया कि जैसे ही हमारे संज्ञान में आया कि सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज, जेएनयू द्वारा शुक्रवार रात 8 बजकर 30 मिनट पर ‘जेंडर्ड रेजिस्टेंस एंड फ्रेश चैलेंजेज इन पोस्ट-2019 कश्मीर’ नाम से एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया था, जेएनयू प्रशासन ने तुरंत संकाय सदस्य को निर्देश दिया और कार्यक्रम को तत्काल रद्द कर दिया गया.
Social Media: पंजाब कांग्रेस ने 21 जनरल सेक्रेटरी और सेक्रेटरी नियुक्त किए, अकाली दल के पूर्व IT हेड भी शामिल
जेएनयू के कई छात्रों और शिक्षकों ने यहां कश्मीर को लेकर किये गए संबोधन पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है. शिक्षकों ने जेएनयू प्रशासन को इसकी जानकारी दी और अपनी आपत्ति दर्ज कराई. छात्र संगठन एबीवीपी ने इसे गैर संवैधानिक वेबिनार कहा है. एबीवीपी ने कहा कि कि वेबिनार वेबपेज ने जम्मू और कश्मीर को ‘भारतीय अधिकृत कश्मीर’ के रूप में संबोधित किया है, जिस पर उन्हें आपत्ति है.
Rohini Encounter News: दिल्ली में पुलिस-बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ में एक बदमाश ढेर, 2 पुलिसकर्मी घायल
जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन की योजना बनाने से पहले संकाय सदस्य ने प्रशासन की अनुमति नहीं ली. वेबिनार के नोटिस में कहा गया है, “यह बात कश्मीर में भारत के लिए लिंग प्रतिरोध की नृवंशविज्ञान पर आकर्षित और निर्माण करेगी. यह बेहद आपत्तिजनक और उकसाने वाला विषय है, जो हमारे देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल खड़े करता है. जेएनयू इस तरह के बहुत ही संदिग्ध वेबिनार का मंच नहीं हो सकता है. मामले की जांच की जा रही है.”
दिल्ली में ‘पेरेंट्स संवाद’ कार्यक्रम हुआ लॉन्च, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताए पेरेंटिंग के असल मायने
कश्मीर को भारत गणराज्य का अभिन्न अंग है, लेकिन यहां इसे ‘भारतीय अधिकृत कश्मीर’ के रूप में संबोधित किया गया है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है. शिक्षकों के मुताबिक ऐसा करके जेएनयू को देश विरोधी दर्शाने का प्रयास किया जा रहा था. इस वेबिवार को रद्द करवाने पर शिक्षकों ने संतोष व्यक्त किया है. गौरतलब है कि जेएनयू ने आतंकवाद के खिलाफ एक विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया है. यह पाठ्यक्रम भारतीय परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है. जेएनयू की अकादमिक काउंसिल और कार्यकारी परिषद भी इस पाठ्यक्रम मंजूरी दे चुकी है.
भाजपा फिलहाल कहीं नहीं जा रही, मगर राहुल को इस बात का अहसास नहीं : प्रशांत किशोर
जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार कहा चुके हैं कि विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं. विश्वविद्यालय में मेडिकल स्कूल की स्थापना व आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम पर अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद में पर्याप्त चर्चा की गई है. इन चर्चाओं के उपरांत ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. कोरोना के बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों को फिर से खोला जा रहा है. इसी क्रम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तीसरे वर्ष के पीएचडी छात्रों के लिए कैंपस खोल दिया है. एमएससी और बीटेक छात्रों के लिए कैंपस खोला गया है. जेएनयू में चौथे चरण की रिओपनिंग शुरू हो चुकी है. चौथे चरण में एमएससी फाइनल ईयर और बीटेक चौथे वर्ष के सभी छात्रों को विश्वविद्यालय कैंपस में आने की अनुमति है.
-
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
-
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
-
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
-
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
-
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
-
छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
-
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
-
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें