बिलासपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ ओड़िसा के दो युवकों को गिरफ्तार कर नक्सली बताने के मामले में ओड़िसा पुलिस ने मामले की जांच एनआईए के सुपुर्द करने को कहा है. इस मामले में वरिष्ठ वकील सतीश चंद्र वर्मा ने बताया है कि उड़ीसा पुलिस ने कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़ के तीन आईपीएस ने परिजनों को मामले को रफा-दफा करने के लिए रिश्वत की पेशकश थी और मुकदमा ख़त्म करवाने का आश्वासन दिया था.
ये मामला पिछले साल 26 जून का है. छत्तीसगढ़ पुलिस पर आरोप है कि उसने ओड़िसा के कोटापाड से दो युवकों निरंजन दास और दुर्ज्योति महाकोड़ो को स्थानीय पुलिस को बिना बताए उठाकर ले आई और दोनों को नक्सली बताकर गिरफ्तार कर लिया. पुलिस यहां सिविल ड्रेस में हथियार के साथ गई थी.
इस मामले में दोनों युवकों के परिजनों ने कोटापाड़ न्यायालय में मामला दर्ज कराया. शुरुआती जांच के आधार पर पुलिस ने अपहरण करने वाले छत्तीसगढ़ पुलिस कर्मियों के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया है.
इस मामले में जब परिजन आगे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट गए तो सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेज दिया.
इस मामले को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई तो ओड़िसा पुलिस ने मान लिया कि दोनों युवकों के खिलाफ मामला फर्जी था. और दोनों का किडनैप हुआ है. पुलिस ने ये भी माना कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि छत्तीसगढ़ के तीन आईपीएस अधिकारियों ने मामले को रफा दफा करने के लिए परिजनों को रिश्वत का ऑफर दिया था. ओड़िसा पुलिस ने कहा कि इस बात के सबूत के तौर पर सीडी है जिसकी फॉरेंसिक जांच भी करा ली गई है. जाहिर है आने वाले दिनों में इन तीन आईपीएस अधिकारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.