भुवनेश्वर। ओडिशा में पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो गया है, लेकिन कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए लड़ाई की रूपरेखा अभी भी तैयार नहीं हुई है, क्योंकि सभी तीन प्रमुख दल अपने उम्मीदवारों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.
सत्तारूढ़ बीजद को अभी 12 विधानसभा सीटों-रघुनाथपल्ली, हिंदोल, खंडपड़ा, बेगुनिया, खुर्दा, बांगिरिपोशी, भोगराई, नीलागिरी, बारी, कोरेई, बालिकुदा-एरसमा और काकटपुर विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करना बाकी है.
भाजपा ने भी जेपोर, तेलकोई, घासीपुरा, चंपुआ, हिंदोल, बारबाटी-कटक, बेगुनिया, खुर्दा, बस्ता, नीलगिरि, भंडारीपोखरी, बासुदेवपुर, बरी, सालेपुर और केंद्रापड़ा के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए हैं.
दूसरी ओर कांग्रेस ने अभी तक छत्रपुर, पाललहारा, बारबाटी-कटक, जलेश्वर, बालासोर सदर, नीलगिरि, बड़चना, जगतसिंहपुर और काकटपुर विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है. पार्टी को दो लोकसभा सीटों-कटक और मयूरभंज के लिए भी उम्मीदवारों की घोषणा करनी है.

बीजद में मौजूदा विधायकों पर गिर सकती है गाज

पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजद इन निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकांश मौजूदा विधायकों को बदलने पर विचार कर रहा है और उन्हें पाला बदलने से रोकने के लिए टिकट वितरण प्रक्रिया में देरी कर रहा है. मौजूदा विधायक सुब्रत तराई के अलावा, प्रशांत सेठी और जगबंधु बेहरा रघुनाथपल्ली सीट के लिए सबसे आगे हैं. हिन्दोल में मौजूदा विधायक सीमारानी नायक और ढेंकनाल के सांसद महेश साहू के बीच मुकाबला है. बेगुनिया में मौजूदा विधायक राजेंद्र साहू और प्रदीप साहू (2019 में कांग्रेस के एमएलए उम्मीदवार को हराया. वह तब से बीजद में शामिल हो गए हैं और भोगराई में मौजूदा विधायक अनंत दास के बेटे अभिजीत और गौतम बुद्ध दास हैं. हालाँकि क्षेत्रीय पार्टी बरी, बालिकुदा और काकटपुर में मौजूदा विधायकों को बदलना चाहती है क्योंकि उनकी सर्वेक्षण रिपोर्ट उत्साहजनक नहीं है, यह प्रभावशाली विकल्प खोजने के लिए संघर्ष कर रही है और जब तक संभव हो इन सीटों को लटकाए रखना चाहती है.

बीजद की भी खुर्दा पर पैनी नजर है क्योंकि 2019 में भाजपा के पराजित विधायक उम्मीदवार कालू चरण खांडयात्रे कथित तौर पर भगवा पार्टी से नाखुश हैं. स्थिति कैसी रहती है, इसके आधार पर पार्टी राजेंद्र साहू को खुर्दा में स्थानांतरित कर सकती है. मौजूदा विधायक ज्योतिंद्रनाथ मित्रा की किस्मत भी अधर में लटकी हुई है. आकाश दासनायक के भाजपा में शामिल होने के बाद जाजपुर की राजनीति पर प्रभाव रखने वाले दो प्रमुख समूहों द्वारा कोरेई सीट के लिए पैरवी करने से भी पार्टी असमंजस में है. यह चर्चा के बीच कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं, भुवनेश्वर के पूर्व सांसद प्रसन्न पाटसानी की योजनाओं पर भी नजर रख रही है.

वरिष्ठ नेताओं के पलायन के बीच कांग्रेस में उम्मीदवारों की कमी

कांग्रेस स्पष्ट रूप से संभावित उम्मीदवारों की कमी का सामना कर रही है और प्रतिद्वंद्वी दलों से कुछ हासिल करने पर नजर गड़ाए हुए है. सबसे पुरानी पार्टी में चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं का पलायन देखा गया है. बड़चना के पूर्व विधायक सीताकांत महापात्र के बेटे राज नारायण महापात्र और जगतसिंहपुर के कद्दावर नेता चिरंजीव बिस्वाल ने बीजद का दामन थाम लिया है, जिससे इन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर हो गई हैं.

इसी तरह 2019 में काकटपुर से पार्टी के उम्मीदवार रहे विश्वभूषण दास भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. दूसरी ओर सुदर्शन दास सहित कई दावेदार जलेश्वर सीट के लिए पैरवी कर रहे हैं. श्रीकांत जेना, जो बालासोर से सांसद उम्मीदवार हैं, इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जलेश्वर, बालासोर सदर और नीलगिरी में जीत की संभावना सहित विभिन्न कारकों के आधार पर विधायक उम्मीदवारों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे, क्योंकि यह कुछ सीटों में से एक है, जहां कांग्रेस अपनी जीत की संभावनाएं देख रही है. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित ऋण घोटाला मामले में अपनी सजा के खिलाफ मौजूदा विधायक मोहम्मद मोकिम की याचिका के साथ बारबाटी-कटक के लिए भी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

भाजपा ने इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाई

इनमें से ज्यादातर जगहों पर या तो बीजेपी के पास अच्छे उम्मीदवार नहीं हैं या फिर वह बीजेडी के कदम उठाने का इंतजार कर रही है. बारबाटी -कटक सीट पर मुकाबला दो दलबदलुओं और अभिनेताओं, अनुभव मोहंती और अरिंदम रे और डॉक्टर पूर्णचंद्र महापात्र के बीच है. चिल्का के मौजूदा विधायक प्रशांत जगदेव, जो हाल ही में भगवा खेमे में शामिल हुए हैं, उन्होंने घोषणा की है कि वह आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे, पार्टी बेगुनिया और खुर्दा में सावधानी के साथ कदम बढ़ा रही है.
भाजपा बस्ता और केंद्रापड़ा में बीजद के असंतुष्टों की भी तलाश कर रही है। महिला कार्ड खेलते हुए भाजपा ने मौजूदा विधायक नित्यानंद साहू की जगह बस्ता से सुबाशिनी जेना को उम्मीदवार बनाया. क्षेत्रीय पार्टी द्वारा हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री गणेश्वर बेहरा को केंद्रापड़ा से विधायक उम्मीदवार के रूप में चुनने के साथ, भाजपा किशोर चंद्र तराई को अपने पाले में कर सकती है, जिन्होंने 2014 में बीजद के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीता था.

हालांकि ऐसी अटकलें हैं कि ढेंकनाल लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद बीजद हिंडोल से महेश साहू को मैदान में उतार सकती है, लेकिन भाजपा इस घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रही है। अगर महेश साहू टिकट पाने में कामयाब होते हैं, तो भगवा पार्टी मौजूदा विधायक सीमारानी नायक को अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है. हिंदोल से तीन बार बीजद की पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री अंजलि बेहरा पहले से ही इसके पाले में हैं.

नीलगिरी में पार्टी मौजूदा विधायक सुकांत नायक के प्रतिस्थापन की तलाश कर रही है, जो हाल ही में बीजद में शामिल हुए हैं. ऐसी भी अटकलें हैं कि खांडपड़ा के मौजूदा विधायक सौम्य रंजन पटनायक, जिन्हें बीजद ने सितंबर 2023 में निष्कासित कर दिया था, भगवा पार्टी में शामिल हो सकते हैं और घासीपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं. बीजद भी सौम्य के कदमों पर नजर रख रही है और इसलिए उसने अभी तक खंडपड़ा के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.