खोर्धा. क्या सच्चा और निस्वार्थ प्यार सिर्फ इंसानों से होता है? नहीं, आज हम आपको एक एसी निस्वार्थ प्रेम कहानी के बारे में बता रहे हैं जो आपको भी प्रेरणा देगी. घर में किसी पालतू जानवर को पालने वाले लोगों को उससे जितना लगाव होता है वह कोई और नहीं समझ सकता. खोर्धा जिले से बुधवार को ऐसा मामला सामने आया जिसने निस्वार्थ पशुप्रेम को एक अलग ही सूत्र में बांधकर लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. हाल में एक परिवार के पालतू कुत्ते की बीमारी के बाद मौत हो गई तो परिवार ने उसके याद में बाकी लावारिस जानवरों के लिए अस्पताल खोलने का संकल्प किया है. यह निस्वार्थ प्रेम कहानी नहीं तो और क्या है.

दिल को छू लेने वाली एक घटना में, ओडिशा के खोर्धा जिले में एक परिवार ने अपने पालतू कुत्ते को श्रद्धांजलि दी और उसकी मृत्यु के बाद हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सभी अनुष्ठान किए. खोर्धा के चंद्र शेखर महापात्र के परिवार ने अपने पालतू कुत्ते ‘गुलुपापा’ को अपने बेटे की तरह विदाई दी. 14 साल तक चंद्र शेखर के परिवार की सेवा करने वाले पालतू कुत्ते को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

सभी बेजुवान जानवरों के लिए खोलेंगे अस्पताल

‘गुलुपापा’ के पैरेंट्स बासंती महापात्र ने उसकी याद में रोते हुए कहा कि “मेरी अपनी कोई संतान नहीं है. वह मेरा बेटा था और 14 साल तक मेरे साथ रहा. उसके जाने बाद मैं टूट गया हूं.’ उसकी उपस्थिति से मुझे कभी बच्चा न होने का बुरा अहसास नहीं हुआ. वह बहुत जिंदादिल था और परिवार में बच्चों जैसा माहौल लेकर आया था,” उन्होंने कहा “उसने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. मेरा लक्ष्य उसके याद में जानवरों के लिए एक अस्पताल खोलना है.”

बासंती के पति, चंद्र शेखर महापात्र ने भी यही भावना व्यक्त की और कहा, “जब मैं उसे घर लाया तो वह सिर्फ 1 महीने का था. मेरे परिवार के सदस्यों ने पहली बार उन्हें भुवनेश्वर के टंकपानी रोड के एक व्यक्ति के विज्ञापन के माध्यम से देखा था और देखते ही उसे अपनाने का फैसला किया था.

उसने हमे बेहतर इंसान बनाया

‘चंद्र शेखर ने कहा उसने हमे बेहतर इंसान बनाया और बहुत कुछ शिखाया. उसने हमे इतना प्यार दिया कि हमें दुसरे जानवरों से भी प्यार होने लगा. वो हर रोज हमे दुसरे जानवरों की मदद करने और खाना खिलाने के लिए प्रेरित करता था. हम सड़क के कुत्तों और गायों से प्यार करने लगे और उनकी देखभाल करने लगे.’

चंद्र शेखर ने कहा कि “सिर्फ इतना ही नहीं उसने मेरे दैनिक जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव डाला. सुबह से लेकर रात तक वह मेरे साथ ही रहता था. अगर मैं देर से घर लौटता तो वह मेरा इंतजार करता रहता था. इसलिए, हम एक परिवार के रूप में अब वही प्यार फैलाना चाहते हैं जो उन्होंने हमें दिया था.’