ओडिशा सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के तहत 35 लोगों को भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र प्रदान किए हैं. बताया कि सभी 35 लाभार्थी हिंदू हैं, जिनमें से अधिकांश 1960 और 1990 के दशक में उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से भारत आए थे.

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब मलकानगिरी ज़िले में बांग्लादेशी मूल के बसने वालों और स्थानीय आदिवासियों के बीच तनाव बना हुआ है.

नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा, ‘इन प्रमाणपत्रों के मिलने के बाद आप सभी अब भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा हैं. अब आप इस देश के किसी भी नागरिक की तरह सभी अधिकार और लाभों के हकदार हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और उनके विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाएगी.

इन 35 लोगों को सीएए के तहत सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद नागरिकता दी गई. यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई – जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे, भारतीय नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है. इस कानून से मुसलमानों को बाहर रखा गया है.

मुख्यमंत्री माझी ने कहा कि यह फैसला ‘मानवता और शरण देने की भारत की शाश्वत मूल्यों को दर्शाता है, जो करुणा व गरिमा के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है.’

इसके साथ ही ओडिशा में अब तक कुल 51 लोगों को नागरिकता दी जा चुकी है, जबकि 1,100 आवेदन अभी प्रक्रिया में हैं.