भुवनेश्वर. केजी से पीजी तक संथाली भाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार विचार कर रही है. आज, क्योंझर के अशोक वाटिका में आयोजित सर्वभारतीय संथाली लेखक संघ (ओडिशा शाखा) के सातवें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने यह बात कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1925 में ओल चिकी लिपि का निर्माण हुआ था. इसके रचयिता गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू को स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 2025 में लिपि निर्माण के 100 वर्ष पूरे होने पर इसे “मिशन ओल-चिकी 2025” के रूप में मनाया जाएगा. उन्होंने आग्रह किया कि 2025 तक अगर सभी संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि में शिक्षा प्राप्त करेंगे, तो यह पंडित मुर्मू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. ओडिशा सरकार प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक संथाली भाषा में शिक्षा शुरू करने पर गंभीरता से काम कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी समाज की उन्नति और पहचान के लिए मातृभाषा ही सबसे महत्वपूर्ण है. 2003 में, तत्कालीन केंद्र सरकार और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, जिससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई. मुख्यमंत्री ने इसके लिए वाजपेयी को धन्यवाद दिया.
मुख्यमंत्री ने लेखकों से आह्वान किया कि वे अपनी लेखनी के माध्यम से भाषा, संस्कृति, परंपरा और शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करें. साथ ही, अन्य भाषाओं में लिखित प्रसिद्ध पुस्तकों को संथाली में और संथाली पुस्तकों को अन्य भाषाओं में अनुवादित करने के लिए प्रयास करें. उन्होंने कहा कि अनुवाद साहित्य और समकालीन लेखन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
आदिवासी समुदाय की सामूहिक उन्नति के लिए सभी को मिलकर अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी करनी होगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “विकसित ओडिशा 2036” के मिशन में आदिवासी समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने संथाली साहित्य के लिए कई लेखकों को सम्मानित किया. सुरेश कुमार हेम्ब्रम को उनकी पुस्तक “सोनाली घारंज” के लिए श्याम सुंदर हेम्ब्रम सम्मान 2024, श्री दुर्गा सोरेन को उनकी कहानी “उनि कुलिद अकय?” के लिए युवा पुरस्कार, श्रीमती आर्सु हांसदा को उनकी कविता संग्रह “आरसी” के लिए यदुमनि बेशरा सम्मान और जीवनभर के साहित्य साधना के लिए लक्ष्मण मारंडी को विशेष सम्मान प्रदान किया.
कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने संथाली भाषा के Grassroots लेखकों को प्रेरित करने के लिए सम्मानित किया. इस अवसर पर कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की गईं.