भुवनेश्वर। हमारे देश की इतनी बड़ी आवादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा डॉक्टरों पर है और ये तो सबको पता ही है कि जनसंख्या की तुलना में हमारे समाज में डॉक्टर की संख्या काफी कम है. जिस कारण से डॉक्टरों और स्वस्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर ज्यादा काम का बोझ रहता है और वे बहुत ही तनावपुर्ण जीवन जिते हैं. इस दिशा में ओडिशा सरकार अब डॉक्टरों का स्ट्रेस लेवल कम करने के लिए एक नई पहल शुरु कर रही है.

राज्य सरकार एक्सपोजर विजिट के तहत डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को विदेश यात्राओं पर भेज रही है. जहां डॉक्टर्स अपने रोजमर्रा की भागादोड़ी और तनावपुर्ण जीवन से दूर कुछ समय आराम फरमा सकते हैं. विदेश यात्राओं के अलावा, कुछ डॉक्टरों और अधिकारियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट स्कील्स सीखने के लिए देश भर के कई आश्रमों में भी भेजा जा रहा है. डॉक्टरों और अधिकारियों के स्क्लील्स को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब यह रणनीति अपनाया है. सरकार इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो हमारे सेवा में दिन रात नियोजित हैं वे भी अपना तनाव को कम करने में सक्षम हों.

एक पत्र में, स्वास्थ्य विभाग ने परिवहन विभाग से 20 डॉक्टरों के लिए दुबई के लिए उड़ान टिकट बुक करने के लिए कहा है, जो 30 अक्टूबर से 3 नवंबर, 2023 तक एक्सपोजर टूर पर निकलेंगे. न केवल दुबई, बल्कि लगभग 30 डॉक्टर और अधिकारी कल सिंगापुर के लिए भी रवाना होंगे.

इससे पहले राज्य सरकार ने 14 सितंबर को दो बैच में 40 डॉक्टरों और अधिकारियों को तमिलनाडु के ईशा आश्रम भेजा था. वहीं राजस्थान के माउंट आबू में स्थित ब्रह्माकुमारी आश्रम में स्कील डेवलपमेंट और स्ट्रेस रिलिज वर्कसॉप में 25 डॉक्टरों ने भाग लिया था. स्वास्थ्य विभाग ने तमिलनाडु और राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र और केरल में भी दो आश्रमों को चुना है जहां आने वाले दिनों में डॉक्टरों को भेजा जाएगा.

डॉक्टरों ने की सराहना

सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए एक डॉक्टर ने कहा कि उन्हें रोजाना 18 से 20 घंटे ड्यूटी पर रहना पड़ता है. और देश में लगभग सभी डॉक्टरों का यही स्थिती है. क्योंकि ज्यादातर डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं, जिसके के कारण एक डॉक्टर को दिन में 100 से भी ज्यादा मरिजों को देखना पड़ता है. इस माहौल में सरकार की ऐसी पहल जरूरी है.

डॉ. संजीत सेठी ने कहा “हमारे पास डॉक्टरों की संख्या कम है और हम पर जरूरत से ज्यादा काम का बोझ है. हम ठीक से खा और सो नहीं पाते. एक डॉक्टर के तौर पर मरीजों का इलाज और सेवा करना सर्वोच्च प्राथमिकता है. लेकिन ऐसा करने से हम तनाव में हैं.”

कौन से मापदंड पर विदेश यात्र के लिए चुने जाएगें डॉक्टर

लेकिन सवाल यह है कि सरकार खाली पदों को भरने के बजाय डॉक्टरों को तनावमुक्त करने के लिए ऐसे विदेशी दौरे पर भेजने को उत्सुक क्यों है? वे कौन से मापदंड हैं जिनके आधार पर डॉक्टर और अधिकारियों की पहचान कर भेजा जा रहा है? ऐसे अधिकारी और डॉक्टर कैसे पुष्टि करते हैं कि वे तनावग्रस्त हैं और क्या वे कोई चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर रहे हैं?

पूर्व मुख्य सचिव ने लगाया ये आरोप

पूर्व मुख्य सचिव, सुदर्शन साहू ने कहा, “राज्य के खजाने से खर्च कर डॉक्टरों को घुमाना उचित नहीं है. स्वास्थ्य विभाग में ज्यादातर काम का बोझ निचले स्तर के कर्मचारिओं पर रहता है. पर सरकार केवल चुने हुए डॉक्टरों और अधिकारियों को ही भेज री है जो उनके निर्देशों का पालन कर रहे हैं.

पुलिस एसोसिएशन ने की मांग

इस बीच पुलिस एसोसिएशन ने भी ऐसे प्रावधान पर सवाल उठाए हैं. एसोसिएशन का दावा है कि पुलिस कर्मियों को अधिक तनाव होता है और इसलिए उन्हें भी इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाना चाहिए.

“डॉक्टरों की तरह, पुलिसकर्मी प्रतिबद्ध हैं और चौबीसों घंटे काम करते हैं और उन्हें छुट्टी नहीं मिलती है. पुलिस के पास कोई विशेष कार्यसूची नहीं है. पुलिस एसोसिएशन के एक अधिकारी उमेश चंद्र साहू ने कहा, “अगर सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों के लिए भी इसी तरह के प्रावधान किए जाते हैं तो यह वास्तव में फायदेमंद होगा.”

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